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भारत अब तकनीक का उपभोक्ता नहीं, परिवर्तन का वैश्विक नेतृत्वकर्ता — प्रधानमंत्री मोदी

वीना टंडन
नई दिल्ली, ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत अब तकनीक का केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि तकनीक-संचालित परिवर्तन का वैश्विक अग्रदूत बन चुका है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन डिजिटल बुनियादी ढांचे, स्वदेशी नवाचार और अनुसंधान में देश की प्रगति के कारण संभव हुआ है।

प्रधानमंत्री मोदी उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सम्मेलन (ईएसटीआईसी) 2025 को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि भारत के पास दुनिया का पहला और सबसे सफल डिजिटल सार्वजनिक ढांचा है, जिसने महामारी के समय देश को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।

प्रधानमंत्री ने कहा,

> “भारत अब तकनीक का उपभोक्ता नहीं है, बल्कि तकनीक-संचालित परिवर्तन में अग्रणी है। कोविड के दौरान हमने रिकॉर्ड समय में स्वदेशी टीका बनाया और दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया। यह भारत के डिजिटल ढांचे की ताकत का प्रमाण है।”

मोदी ने कहा कि सरकार ने पिछले वर्षों में जो नीतियाँ अपनाईं, उनका असर अब दिखाई देने लगा है।

> “भारत को नवाचार केंद्र बनाने के लिए बनाई गई नीतियों का प्रभाव अब स्पष्ट है। पिछले एक दशक में अनुसंधान एवं विकास पर खर्च दोगुना हुआ है। देश में दर्ज पेटेंटों की संख्या 17 गुना बढ़ी है। भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है। हमारे 6,000 से अधिक डीप-टेक स्टार्टअप स्वच्छ ऊर्जा और उन्नत तकनीकों पर काम कर रहे हैं। सेमीकंडक्टर क्षेत्र भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।”

प्रधानमंत्री ने इसरो के वैज्ञानिकों की भी प्रशंसा की, जिन्होंने रविवार को देश का सबसे भारी संचार उपग्रह सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। उन्होंने कहा —

> “कल भारत ने विज्ञान और तकनीक की दुनिया में नया इतिहास रचा। हमारे वैज्ञानिकों ने भारतीय नौसेना के संचार उपग्रह जीसैट-7आर (सीएमएस-03) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह है, जिसका वज़न लगभग 4,400 किलोग्राम है। यह भारत की अंतरिक्ष और रक्षा क्षमताओं में एक बड़ी छलांग है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 21वीं सदी में विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक सहयोग अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन उसी भावना का परिणाम है।

> “दुनिया भर के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ जब एक साथ विचार करते हैं, तभी मानवता के लिए नई दिशा निकलती है। यही सोच इस सम्मेलन के पीछे है। आज मंत्रालय, निजी क्षेत्र, स्टार्टअप और विद्यार्थी सभी मिलकर इस दिशा में काम कर रहे हैं। यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि एक नोबेल पुरस्कार विजेता भी इस आयोजन का हिस्सा हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी तेज़ बदलाव का युग है, जहाँ तकनीक की गति रैखिक नहीं, बल्कि घातांकीय है।

> “हमने ‘जय जवान, जय किसान’ के साथ अब ‘जय विज्ञान’ और ‘जय अनुसंधान’ का मंत्र जोड़ा है। अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना की गई है। हाल ही में शुरू की गई रिसर्च, डेवलपमेंट एंड इनोवेशन (आरडीआई) योजना के तहत 1 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह राशि देश के युवाओं, वैज्ञानिकों और उद्यमियों के लिए है, ताकि वे उच्च जोखिम और उच्च प्रभाव वाले शोध कार्यों में हिस्सा ले सकें।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब उस दिशा में बढ़ रहा है जहाँ स्वदेशी ज्ञान और वैश्विक सहयोग मिलकर नई तकनीकी क्रांति का मार्ग बनाएँगे।

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