क्या राजस्थान चुनाव हिन्दू / मुस्लिम अखाड़ा तो न बन जाये
मैं गत दिनों अलवर गया , सिख प्रतिनिधियों की बैठक थी l बाबा बालक नाथ बड़े मथ के मठाधीश हैं , अलवर से लोक सभा सदस्य भी l तिजारा विधान सभा के लिए भाजपा ने उन्हे उमीदवार घोषित किया हैं , यह क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य हैं परंतु संघ अर्थात RSS के प्रचार ने पूरे देश में हिन्दू और मुस्लिम के बीच दीवार सी खड़ी कर दी हैं बे यकीनी की, नतीजा यदि मुस्लिम बाहुल्य होते हुए भी मुस्लिम उमीदवार का जीतना ना मुमकिन हो जाता हैं , अब मुस्लिम वोट बन कर रह गया हैं l पंजाब भी एक बार हिन्दू और सिख भी ऐसे दौर से गुजरा हैं, यूँ कहें कि जम्मु कश्मीर भी इसी संताप को सह रहा हैं l यह बे यकीनी देश को कहाँ लाकर खड़ा करेगी कहा नही जा सकता परंतु यह फसल बिल्कुल त्ययार सी दिखायी पड़ रही हैं l कांग्रेस में भी हिम्मत दिखायी नही पड़ती कि वह इस बाढ का शिकार न हो जाये , अब वह भी उसी में बहती नजर आ रही हैं l ऐसे हालात से कोई देश को बाहर निकाल सकता हैं तो वह सिख चेहरा हैं परंतु वह भी संघ के फैलाये इस जाल में फंस गया हैं, विडम्बना तो यह कि उसने 1984 का दोषी कांग्रेस को मान लिया हैं , यह जानते हुए भी कि सिख को देश की राजनीति से अलग थलग करने का श्रेय यदि किसी को जाता हैं तो वह संघ ही हैं, उसने बढ़े करीने से 1980 के दसक में कांग्रेस को ही संघी बना दिया था l
शायद सिख समझ ही नही पाया पंजाबी के खिलाफ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्थान का नारा लगा सिखों को खालिस्तानी किसने कहा ? वे भूल गये आनन्द पुर साहिब प्रस्ताव जो राज्यो के अधिकारों की व्याख्या करने के लिए पास किया गया उसे खालिस्तानी प्रस्ताव किसने प्रचार दिया ? किसने निरंकारी बनाम सिख को उस अति तक पहूँचा दिया , किसने जल बंटवारा को खालिस्तानी आंदोलन गर्दान कर दिया , वह कौन था जिसने पंजाब को ही धुम्र पान की प्रयोगशाला बना जो पंजाब जींदा गुरां दे नाम ते, वह कौन था जिसने अमृत्सर रेलवे स्टेशन पर हरिमन्दिर दरबार साहिब के माडल को ही तोड़ दिया ? कौन था जिसने दरबार साहिब पर फौज भेजने के लिए दबाव बनाया ? वह कौन था जिसने कहा था कि 1984 सिख संहार एक प्रतिक्रिया थी और उसे ही भारत रतन से नवाजा गया और किसने नवाजा ? वे कौन थे जिसने बहुत से आरोपी जो उस नर संहार में चिन्नहित थे उनको clean chit दे दी ? उनके साथ क्या बीता जिनकी ज़मीनों को गुजरात में हथियाने का प्रयास किया गया , क्या कोई बता सकता हैं कि उन के क्या हालात हैं ? यह सभी सवाल मुँह बाये खड़े हैं l मैं किसी को दोषी और निर्दोष साबित करने के लिए नही लिख रहा परंतु यह दर्द ज़रूर हैं जो कौम 1920 से आजादी के संघर्ष में प्रथम पंक्ति पर खड़ी हो वही राजनीति से अलग थलग हो जाये , यह यक्ष प्रशन हैं ?
आज सिख और मुस्लिम केवल वोट हैं , उसकी कोई अहमियत ही नही बची, मैं मानता हूँ कि मन मोहन सिंघ सरकार ने इस हालात को बदला था , सिखों से 1984 के लिए माफी मांगना वह भी संसद पटल पर इस 75 वर्ष के दौरान यह एक साहसी कदम ही नही बल्कि देश सबका हैं इसका अहसास करवा देना बड़ा कदम था , यह सिख चिन्तन ही हैं जो कह सकता हैं सब को मीत हम आपन कीना , कल ही एक विडियों पांडे जी का सिख हालात पर जारी किया यह उसकी हिम्मत हैं सच्चायी को ब्यां करने की , आज सिख ही हैं जो हिन्दू और मुस्लिम में कड़ी हैं जोड़ने की , मैने कांग्रेस को अपील की हैं यह मौका हैं बाबा बालक नाथ जो तिजारा से भाजपा के उमीदवार हैं , आशंका यह हैं कि जिस प्रकार की आवाजें उठ रही हैं कहीं आपसी टकराव की हालत न बन जाये उसके लिए सिख को कांग्रेस उमीदवार बना चुनाव का बिगुल फूँके तो राजस्थान में ही नही समूचे देश में एक ऐसा संदेश होगा जिससे एक नया महोल सृजित होगा , ऐसा मेरा मत हैं l
दया सिंघ