अपराधी की पहचान अपराध से हो धर्म से नहीं
एक अपराधी के अपराध के पूरे समुदाय पर निशाना क्यों
मनोज टंडन
देश में अब 2024 की तैयारी शुरू हो गई है।इसकी आमद अब सोशल मीडिया पर दिखाई देने लगी है। सोशल मीडिया का यह आलम है कि अब हर दूसरी पोस्ट में हिन्दू -मुस्लिम ही होता है। इसमें उछाल दिल्ली के साक्षी हत्याकांड के बाद ज्यादा आया है।कमाल की बात यह है कि इस नफरत के मामले में भी दोगलापन दिख रहा है। दिल्ली के श्रद्धा वाल्कर हत्याकांड और साक्षी हत्याकांड के मामले में हत्यारे को मजहब के आधार पर पहचानने वाले अब मुम्बई के मीरा रोड इलाके की आकाशगंगा सोसायटी में हुई महिला की बेरहमी से की गई हत्या के मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि मरने वालीं महिला का नाम सरस्वती वैद्य है और हत्यारे का नाम मनोज साहनी। मनोज साहनी अपने साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही सरस्वती वैद्य की बड़ी बेरहमी से हत्या की।
हत्यारे मनोज ने सबूत मिटाने के लिए शव के टुकड़ों को कुकर में उबाल दिया। फ्लैट से दुर्गंध आने पर आस-पास के लोगों ने पुलिस को जानकारी दी थी। जिसके बाद पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची और सोसाइटी की सातवीं मंजिला से महिला का क्षत-विक्षत शव बरामद किया। महिला की हत्या करने के बाद उसके शव को कई टुकड़ों में काटा गया। बदबू ना फैले, इसलिए आरोपी ने शव के टुकड़ों को कुकर में उबाल दिया। हालांकि इसके बावजूद पड़ोसी अजीब ने दुर्गंध से परेशान हो गए तो उन्होंने पुलिस से इसकी शिकायत की थी।
सूचना पर पुलिस ने फ्लैट में छापा मारा। पुलिस ने मौके से शव के टुकड़े भी बरामद किए हैं। मौके पर फोरेंसिक टीम को भी बुलाया गया और फ्लैट से अन्य सबूत भी इकट्ठा किए गए हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही अधिक जानकारी सामने आ सकेगी। पुलिस ने फ्लैट को सील कर दिया है।
बेरहमी से की गई इस हत्या ने एक बार फिर मानवता को शर्मशार कर दिया। लेकिन इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले मनोज साहनी को केवल हत्यारा ही माना जा रहा है।इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले मनोज साहनी के समुदाय पर अब कोई चर्चा नहीं। कोई उसके समुदाय को हिंसक नहीं मान रहा, बल्कि इस अपराध के लिए केवल मनोज साहनी को दोषी करार दिया जा रहा है।अब सरस्वती वैद्य को लेकर भी लोगों की सिम्पैथी बदल गई।
आखिर क्यों नहीं हम यह मानते कि किसी अपराधी की पहचान उसके अपराध से होती हैं नाकि उसके मजहब से।
क्यों एक विशेष समुदाय के व्यक्ति के द्वारा किए गए अपराध पर उसके पूरे समुदाय पर कीचड़ उछालने लगते हैं। देश का कानून कभी मजहब के आधार पर किसी अपराधी को नहीं पकड़ता, और नाही किसी अपराधी को उसके मजहब के आधार पर सज़ा दी जाती है। फिर चंद फिरका परस्त लोगों की बातों में सब आ जाते हैं।
सोशल मीडिया के माध्यम से यह नफरत की आग किसी एक राज्य में नहीं भड़काई जा रही बल्कि हर राज्य में ऐसा ही कुछ न कुछ करने की कोशिश की जा रही है।
बात की जाए उत्तराखंड की तो वहां पर भी कथित लव जिहाद के नाम पर इसकी कुछ-कुछ शुरूआत हो गई है। उत्तराखंड के पछुवादून से लेकर उत्तरकाशी तक लव जिहाद के नाम पर समुदाय विशेष को लेकर नफरत फैलाईं जा रही है।इस नफरत की आग में वहां समुदाय विशेष के आजीविका को उजाड़ने की तैयारी की जा रही है। उत्तराखंड के पुरोला में समुदाय विशेष के व्यापारियों के खिलाफ उनकी दुकानों के बाहर 15 जून को एक प्रस्तावित महापंचायत से पहले दुकानें खाली करने के पोस्टर चस्पा होने के बाद नौ मकान मालिकों ने समुदाय विशेष के व्यापारियों से दुकानें खाली करवाने का ऐलान किया है। हालांकि इस तरह के पोस्टर चस्पा कर माहौल ख़राब करने वाले अज्ञात लोगों के खिलाफ धर्म विशेष के लोगों को डराने और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की।
यहां पर हैरत की बात यह है कि उत्तरकाशी जिले के पुरोला में 26 मई को नाबालिग लड़की को भगाने के आरोप में नजीमाबाद निवासी उबैद पुत्र अहमद और जितेंद्र सैनी पुत्र अत्तर सैनी के खिलाफ धारा 363और पाॅक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। दोनों लड़कों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। दोनों लड़के स्थानीय रजाईं गद्दे की दुकान पर काम करते थे। वक्त रहते कानून ने अपना काम किया और दोषियों को जेल भेजा। अब इस पूरे मामले में समुदाय विशेष के व्यापारियों को निशाना बनाया जा रहा है। आखिर अपराधी को अपराधी समझने की समझ लोगों में कब आएगी?