राम को राजनीति का खेल न बनायें
जैसे जैसे tv पर राम गाथा का गुण गान होने लगा हैं और अब रामायण का serial भी दिखाने का खबरी चैनल advertise करने में लगे हैं, किसी का क्या लेना देना परंतु जिस प्रकार प्रधान मंत्री महोदय को ही यजमान प्रस्तुत किया जा रहा हैं सवाल उठने स्वाभाविक ही हैं l
प्रधान मंत्री व्यक्ति नही एक संविधानिक पद हैं उसकी गरिमा हैं, व्यक्ति संविधान की शपथ लेता हैं , इसलिये एक के बाद एक मुद्धा खड़ा किया जा रहा हैं , यह भी सही हैं कि RSS के मानस में भारत अर्थात India को हिन्दू राष्ट्र में परिवर्तित करना हैं इसलिये उसका जोड़ तोड़ राम मन्दिर को इस प्रकार कि देश हिन्दू मय हो गया हैं , यह उसकी बहुत बड़ी भूल साबित होगी, केवल राम मन्दिर पर ही सवाल नही उठेंगे कि कैसे apex court से इसका फैसला हुआ जिसने apex court को ही सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया l
अब राम एक गुरू नानक, कबीर, नामदेव और गाँधी का जो सत्य और अहिंसा पर खरा उतरता हैं और दूसरी ओर सुर और असुर के बीच जंग हैं जबकि दोनों छोर पर तो हिन्दू ही हैं , राम और रावन का द्वंद हिन्दू बनाम हिन्दू ही हैं, क्षत्रिय बनाम ब्रहमन हैं , क्षत्री यहां सुर हैं और ब्रहमन असुर , अनेकों स्वाल मुँह बाय खड़े होंगे , यदि एक तरफ स्वरूप नखा का अर्थ ही जो सुंदर हो उसके साथ का वर्ताव और दूसरी तरफ रावन का चरित्र , मन्दोदरी का स्वभाव यहीं बस नही लंका का सोने का होना वहां की अर्थ व्यवस्था का सुदृड़ , राज काज ऐसा विभीक्षण को छोड़ सबका लंका और रावन को समर्पित होना , मैने लंका गढ़ देखा हैं वारानसी में , वास्त्व में यदि समझने का प्रयास करें तो पायेंगे जिस लंका की बात को उठाया जा रहा हैं वह तो 1972 तक cylone था इससे पहले सिंगला दीप जिसका ज़िकर गुरू नानक के समय बताया जाता हैं , वारानसी में ही संकट मोचन मन्दिर आज भी हैं परंतु इतिहास को मिथिहास बनाने का RSS का पूरा प्रयास हैं l
आजकल यजमान पर स्वाल खड़े हो रहे हैं , यही सवाल संसद भवन के उद्घाटन समय जिस प्रकार पूरा अनुष्ठान हिन्दू मयी कर दिया गया और प्रधान मंत्री ही यजमान l यह ठीक हैं कि यह सब कासा कांग्रेस की मूर्खताओं का जीता जागता सबूत हैं , उसे पता ही नही चला कब पूरी कांग्रेस ही संघ मय हो गई थी और उसी से blue star operation और बाबरी मसजिद का द्वार मन्दिर के लिए खुलवा दिया और फिर उसका समतल भी कांग्रेस के होते हो गया , यह मसला राम मन्दिर के उद्घाटन का हैं ही नही मसला मुस्लिम को कैसे अलग थलग कर दिया जाये वही निशाने पर होगा, किस प्रकार मन्दिर की पृष्ट भूमि को पेश किया जायेगा ताकि मुस्लिम को उग्र किया जा सके और फिर सारा भांडा उसी के सिर फोड़ दिया जाये , शायद RSS यह समझ ही नही पा रही कि भारत और भारतीयता को ही संकट में डाल दिया हैं , शायद सिख तो यह उच्चारण ही करते रहे “राज बिना न धर्म चले हैं , धर्म बिना सब दले मले हैं ” और RSS ने गत 9 वर्ष में करके दिखा दिया कि राज से वह कुछ भी करने को आमादा हैं , वह समझ ही नही रहा यदि कहीं बदलावट आ गई तो प्रतिक्रिया क्या होगी, कुछ कहा नही जा सकता इसीलिये उसकी कोशिश हैं कि कांग्रेस को ही हिन्दू से बाहर कर दिया जाये उसपर मुस्लिम तुष्टिकरण का ठप्पा चस्पा कर दिया जाये , उदाहरण के तौर पर राजस्थान को ही लें RSS ने चार वाबाओं को उमीदवार बना दिया खास तौर पर तिजारा (अलवर ) और कांग्रेस उसी जाल में फंस गई कि यह मुस्लिम बाहुल्य हैं वही जीत जायेगा नतीजा पूरे प्रदेश में ही नही इसका असर मध्य प्रदेश में भी पड़ा , मैने उस समय कहा था किसी सिख को खड़ा कर दो ताकि हिन्दू मुस्लिम होने से राजस्थान बच जाये परंतु मूर्खता की हद होती हैं , अब गहलोत को यह बात माननी पड़ी कि फिरका परस्ती की भेंट राजस्थान चढ़ गया l
आज ज़रूरत उन सबकी हैं कि RSS के इस अजेंडा को पूरा न होने दें और गाँधी के राम को उद्धृत करने का प्रयास हर हिन्दू खास तौर पर गाँधी जनों को करनी चाहिए अन्यथा गाँधी का राम लुप्त हो जायेगा, इसी प्रकार ‘हम नानक के लोग ‘ को भी सामने आना चाहिए क्योंकि उनका राम जिसका ज़िकर गुरू ग्रंथ साहिब में प्रस्तावित हैं वह भी खतरे मे हैं, यहीं बस नही कबीर और नामदेव का राम भी इसी हालात से रूबरू हो रहा हैं l
दया सिंघ