जिला विज्ञान क्लब ने अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया राष्ट्रीय पर्व
फिरोजाबाद:- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश के अंतर्गत जिला विज्ञान क्लब, फिरोजाबाद के तत्वावधान में जिला विज्ञान क्लब के कार्यालय पर जिला समन्वयक अश्वनी कुमार जैन के संयोजन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं देश के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जन्मजयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया गया।
कार्यक्रम का प्रारम्भ करते हुए अश्वनी जैन ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं देश के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर माल्यार्पण करके उन्हें नमन किया। अश्वनी जैन ने विद्यार्थियों को दोनों महापुरुषों की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि
मोहनदास करमचन्द गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबन्दर में हुआ था। उन्हें महात्मा गांधी के नाम से भी जाना जाता है, भारत एवं भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी, जिसने भारत को भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया।
प्रति वर्ष 2 अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयन्ती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की।
उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन बिताया और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। उनका निधन 30 जनवरी 1948 को हुआ।
उन्होंने बताया कि लालबहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय ,वाराणसी में हुआ था। वे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। वे 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे।
इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा।शास्त्री जी ने काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की। उनके शासनकाल में 1965 का भारत पाक युद्ध शुरू हो गया। इससे तीन वर्ष पूर्व चीन का युद्ध भारत हार चुका था शास्त्रीजी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी।
ताशकंद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। उन्होंने जय जवान, जय किसान का नारा दिया। उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर छात्र एवं छात्राएं उपस्थित रहे
फिरोजाबाद से रिहान अली की रिपोर्ट