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नेताओं ने 5 साल की कुर्सी के लिए लोगों को एक दूसरे का दुश्मन बना दिया

सत्ता का नशा इतना बढ़ गया है मानो इंसान खुद को खुदा समझने लगा हो जो में चाहूं केवल वही हो में हां कहूं तो हां और न कहूं तो ना हालात इतने बदल गए को कभी किसी ने अंदाजा भी नहीं लगाया होगा।जी हां में बात कर रहा हूं आज के भारत की जिसे पूरे विश्व में जमूहरियत यानी लोकतांत्रिक और सेक्युलर देश के नाम से जाना जाता है। सन् 1947 में हमको आजादी मिली जिसके लिए हमारे बुजुर्गों ने आंदोलन करे लड़ाइयां लड़ी और रब के रहम से हमें आजादी मिली लेकिन एक सवाल हमेशा होता रहा है की क्या हम आज भी आजाद हैं?

आजादी के बाद लोकतंत्र शुरू हुआ और सभी लोगों को अपने मजहब के साथ रहने की अपील की गई और ऐसा ही चलता रहा पिछले 76 सालों में अगर कभी गौर किया जाए तो आज हम किस कगार पर हैं यह सब जानते हैं।आज माहौल यह है की धर्म और समुदाय के नाम पर एक दूसरे को मरना किसी के धर्म के लिए गलत टिप्पणी करना आम हो चुका है जो भारत कभी शान्ति स्वभाव की लिए जाना जाता था आज वो दूसरे देशों के अखबारों में नफरत की टीआरपी बन चुका है इसके पीछे कोन लोग हैं तो में बिना संदेह के कह सकता हूं की सिर्फ 5 साल की सत्ता(कुर्सी) पाने के लिए आज यह माहौल बना दिया गया है इंसान एक दूसरे के खून का प्यासा हो चुका है हालात इतने खराब हो चुके हैं को पता नही कब देश में ग्रह युद्ध जैसे हालात हो जाएं।में सभी धर्मो के लोगों से यही अपील करना चाहूंगा कि राजनीति की किनारे रख कर भाईचारे की बात तो करके देखो गिरे हुए को उठाकर तो देखो किसी मजलूम को अपने सीने से लगा कर तो देखो में दावे के साथ कह सकता हुं आपको अपने पूर्वजों की याद आ जायेगी की किस तरह उन्होंने राजनीति को दरकिनार करके एक होकर अंग्रेजों को हिंदुस्तान से भगाया था।मुश्किल नहीं है हिंदुस्तान में नफरत को खत्म करना बस हम सब एक होकर एक कदम साथ में बाधाएं और देश को तरक्की के तरफ पहुंचाएं।

 

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