तीन नए प्रोग्राम के साथ साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में नए सत्र के लिए दाख़िला प्रक्रिया शुरू
सुषमा रानी
नई दिल्ली, 23 फरवरी। साउथ एशियन यूनिवर्सिटी ने नए अकादमिक सत्र 2024- 25 के लिये दाख़िला प्रक्रिया शुरू कर दी है।
आज फ़ॉरेन कॉरेस्पॉंडेंट्स क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष प्रो. के॰ के॰ अग्रवाल ने नए सत्र के लिए दाख़िला पुस्तिका जारी की।
सभी प्रोग्राम के लिए ऑनलाइन आवेदन क़ा लिंक www.sau.int पर उपलब्ध है। आवेदन की अंतिम तिथि 31 मार्च 2024 है।
प्रो. अग्रवाल ने इस अवसर पर जानकारी दी कि नये सत्र से तीन और नए प्रोग्राम शुरू हो रहे हैं। ये प्रोग्राम हैं- बी॰ टेक, एम॰ टेक और एंटेगरटेड मास्टर्ज़ प्रोग्राम के फ़ील्ड में हैं।उन्होंने बताया कि आवेदकों की मांग पर आने वाले समय में कई और नए प्रोग्राम शुरू करने की योजना है।
वर्तमान में यूनिवर्सिटी में बी॰ टेक, एम॰ टेक, एंटेगरटेड मार्स्टर्ज़ और पीएचडी के प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। ये प्रोग्राम एकनामिक्स, बायोटेक्नॉलजी,कम्प्यूटर साइयन्स, इंटर्नैशनल रिलेशन, लीगल स्टडीज़, मैथेमैटिक्स और समाजशास्त्र में संचालित किए जा रहे हैं।
प्रो. अग्रवाल ने बताया कि हम वर्तमान प्रोग्राम लिस्ट के दायरे को मांग के अनुरूप बढ़ाएँगे और कई नए डिमांडिंग प्रोग्राम का इसमें समावेश करेंगे।
उन्होंने बताया कि इस यूनिवर्सिटी में दाख़िला प्रवेश परीक्षा के आधार पर दिया जाता है। ये प्रवेश परीक्षाएँ 20 और 21 अप्रैल 2024 को
साउथ एशियन देशों में निर्धारित परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की जाएँगी। प्रवेश परीक्षा कम्प्यूटर आधारित होगी।
उन्होंने बताया कि कुछ पीएचडी सीटों पर सीधे दाख़िले क़ा भी प्रावधान है। मेधावी एवं जरूरतमंद छात्रों के लिए स्कालर्शिप एवं आर्थिक सहायता का प्रावधान भी है। आवश्यकता पड़ने पर छात्रों को विशेष वीज़ा देने का भी प्रावधान है।
यह यूनिवर्सिटी आठ सार्क देशों के सहयोग से उन देशों के छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए चलाई जा रही है। दाख़िले में हर देश क़ा अपना कोटा है। अगर किसी देश का कोटा पूरा नहीं होता है तो दूसरे देश के छात्रों से उसे भरा जा सकता है।वर्तमान में आधे छात्र भारत के हैं।
वर्तमान में तक़रीबन 600 छात्र इन देशों के यहाँ अध्यनरत हैं। इसे बढ़ाकर 5,000 करने की योजना है। अभी सिर्फ़ पाँच स्कूल हैं।इसे बढ़ा कर तेरह करने की योजना है।
यह यूनिवर्सिटी दिल्ली के मैदानगढ़ी में तक़रीबन सौ एकड़ के विशाल कैम्पस में चलाई जा रही है।