मानवता नाम की कोई चीज नहीं इंसान के अंदर से इंसानियत हो गई खत्म। यह देख शर्म से झुक गई नजरे
स्टार न्यूज़ टेलीविजन आगरा
दोस्तों कहा जाता है मानवता और इंसानियत भी कोई चीज होती है । जब भी कोई बात होती है तो ऐसी ही मिशाल दी जाती है इन्हीं शब्दों की लेकिन जब आज की बात करें तो लिखने वालों ने मानवता एवं इंसानियत की धज्जियां उड़ा कर रख दी। लिखने वालों ने इतिहास लिख डाला ।कि वाकई इंसानियत एवं मानवता नाम की कोई चीज नहीं और लोगों के दिलों से खत्म हो चुकी है ऐसा सुनते ही लोगों की नजर शर्म से झुक जाती है। वास्तव में शर्म से झुकने वाली बात है। अगर आप सुनोगे और देखोगे तो आप भी उन लोगों को कोशोगे । जिन लोगों की यह सोच है कि हमें किसी से कोई मतलब नहीं क्या कोई ठेका ले रखा है ।लिखने वाले बड़े-बड़े तीरंदाज देखें जिनके हाथ सुबह लिखने में कांपते हैं। अगर कहीं चोरी लूट डकैती जुआ सट्टा आदि की किसी को खबर हो जाए तो तुरंत ही सभी अलर्ट हो जाते हैं।व लिखना चालू होते हैं। लेकिन किसी के हाथ नहीं कांपते एक दूसरे पर कमेंट करना तो इनका शौकिया अंदाज है। कमेंट करने में तो माहिर होते हैं। अपने आप को इतना बड़ा समझते हैं। कि शायद उनके आगे किसी बुजुर्ग की मृत्यु भी कोई मायने नहीं रखती। जी हां आज हम बात कर रहे हैं रामबाग चौराहे की। जो पुल के नीचे एक बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया ऐसी भरी सर्दी में जो चौकी से कुछ ही दूरी पर शव पड़ा हुआ था। वहां के सभी आसपास के लोग बड़े ही अफसोस कर रहे थे ।कि आज एक लावारिस कहे या फिर अनजान कहें जानकारी तो नहीं थी किसी को शायद आज ऐसी ही कुछ चर्चाएं आपस में हो रही थी । चौराहे के आसपास के लोगों में और दुकानदारों में लिखने वालों को पता चला लेकिन किसी ने यह तक जानने की कोशिश नहीं की शव कहां पड़ा है। कुछ ही देर बाद जब पुलिस को सूचना मिली तो तुरंत पुलिस मौके पर पहुंच गई। और पुलिस ने बड़ा ही अच्छा कार्य करते हुए शव की जांच पड़ताल में जुट गई। और लोग पुलिस की भलाई करने में लग गए। और चर्चा गर्म हो गई बोले जिसने भी पुलिस को खबर दी भगवान उसकी उम्र बड़ी लंबी करें पुलिस और खबर देने वालों के लिए ऐसा ही अच्छा सोच रहे थे आसपास के दुकानदार की चलो कम से कम उसका कहीं ना कहीं कोई ना कोई तो होगा पुलिस जांच करेगी तो कुछ अच्छा ही होगा कम से कम ऐसे ही तो नहीं उसका शव खराब होगा ऐसा ही सब कुछ अच्छा सोच रही थी रामबाग चौराहे की जनता आने जाने वाले लोग भी देख रहे थे यह सब कुछ नजारा जो ऊपर दिए गए चित्र में साफ दिखाई देता है धन कोरा तड़के की ठंड आखिर ऐसे में रात को रोकने वाले लोगों का क्या हाल होगा यह तो ऊपर वाला ही मालिक है वही जानता है। आज वास्तव में दिल दुखता है जब लोग ऐसे हालातो में अपने हाथ खींच लेते हैं और सिर्फ स्वार्थी हो जाते हैं उनके लिए इंसानियत मर जाती है मानवता खत्म हो जाती है। शायद भगवान उनके विषय में अपनी डायरी में लिख रहा होगा ।उनके इस इन शब्दों को कहते हैं इसीलिए कहा जाता है की कुछ भी बोलो उसको समझ सोच कर बोलो जिससे किसी के आगे शर्म से झुकना ना पड़े अगर लिख नहीं सकते बोल नहीं सकते तो किसी के विषय में ऐसा ना कहें जो लोग सोचने पर मजबूर हो जाए ,और आपको ही बरा.भला कहे बस इतना ही शब्दों के साथ अंत होता है ।सिर्फ ऊपर दो ही चीज जाती है अच्छे की अच्छाई और भले की भलाई बुरे की बुराई जी हां रुपया पैसा सब कुछ यहीं रह जाता है और कुछ नहीं इसलिए ऊपर वाले की नजरों में कभी ना झुके
आगरा से अमीन अहमद की रिपोर्ट