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हकीम अब्दुल हमीद का उद्देश्य बेरोज़गारों को रोज़गार प्रदान करना था: शौकत मुफ़्ती

नई दिल्ली: जामिया हमदर्द में 8 नवंबर को आयोजित होने वाले मेगा जॉब फेयर के संबंध में हमदर्द बिल्डिंग, कनॉट प्लेस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, जहाँ हमदर्द लर्निंग एंड वेलफेयर सोसाइटी के कार्यकारी सचिव शौकत मुफ़्ती ने कहा कि हम कई वर्षों से जॉब ड्राइव और मेगा जॉब फेयर आयोजित करते आ रहे हैं। हमारा उद्देश्य बेरोज़गारी कम करना और कम पढ़े-लिखे बच्चों से लेकर पढ़े-लिखे बच्चों तक को रोज़गार उपलब्ध कराना है और यही स्वर्गीय हकीम अब्दुल हमीद का मिशन था। पचास साल पहले उन्होंने इसी उद्देश्य से बीईबी, जिसे अब एचएलडब्ल्यूएस कहा जाता है, की स्थापना की थी कि लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाए और उन्हें रोज़गार के योग्य बनाया जाए। हकीम साहब ने इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए जामिया हमदर्द की स्थापना की और वहाँ कई संस्थाएँ और सोसाइटियाँ स्थापित कीं, जो आज उनके पदचिन्हों पर चल रही हैं। इसके लिए हमें चांसलर हम्माद अहमद, हामिद अहमद और साजिद अहमद का पूरा सहयोग मिल रहा है।
एएमपी के राष्ट्रीय प्रमुख फ़ारूक़ सिद्दीकी ने कहा कि इस साल हमदर्द के साथ यह हमारा पाँचवाँ रोज़गार मेला है और एएमपी का यह 125 वाँ रोज़गार मेला है। हम रोज़गार मेले की तैयारी कई महीने पहले से करते हैं, क्योंकि लगभग सौ कंपनियाँ आती हैं और सभी को एक छत के नीचे लाना एक बड़ी चुनौती होती है। उन्होंने कहा कि जब से हमदर्द हमारे साथ जुड़ा है, हमें और भी बल मिला है। उन्होंने कहा कि इस बार कंपनियाँ लगभग बारह हज़ार नौकरियाँ लेकर आ रही हैं।
प्रोफ़ेसर मंजू छुगानी ने कहा कि वैसे तो शिक्षण संस्थान अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन हमदर्द उनमें अनोखा है क्योंकि ज़रूरत के समय हमदर्द हमारे साथ खड़ा होता है, ऐसे में बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या है जिसे कम करने के लिए हमदर्द काम कर रहा है।
प्रोफ़ेसर फ़रहत बसीर ख़ान ने कहा कि हकीम साहब ने इस संस्था की स्थापना ऐसे समय में की थी जब रोज़गार की कोई ख़ास समस्या नहीं थी, लेकिन आज इस संस्था की उपयोगिता को सराहा जा रहा है, यह हकीम साहब की दूरदर्शिता थी। इकरा कुरैशी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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