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पीएम के चुनाव क्षेत्र मे वसूली के लिए खुलेआम तांडव कर रही योगी आदित्यनाथ की पुलिस

स्टार न्यूज़ टेलीविजन

राकेश की रिपोर्ट

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में पुलिसिया दबंगई का मामला सामने आया है। शिवपुर थाना क्षेत्र स्थित सुद्दीपुर की एक देसी शराब दुकान में गिलट बाजार चौकी प्रभारी जमुना प्रसाद तिवारी और दीवान आलोक कुमार ने शनिवार रात घुसकर न सिर्फ दुकान में तोड़फोड़ की, बल्कि कर्मचारियों को धमकाते हुए दुकान बंद करने को भी कहा।

दुकान के मालिक ने आरोप लगाया है कि दीवान आलोक कुमार बीते कई दिनों से ‘हफ्ता’ मांग रहे थे। जब मांग पूरी नहीं हुई तो बदले की कार्रवाई करते हुए दुकान में बवाल किया गया। यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गई है और इसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। खास बात यह है कि दुकान को आबकारी विभाग से वैध लाइसेंस प्राप्त है, बावजूद इसके पुलिस ने दस्तावेजों को देखे बिना सीधे कार्रवाई की। कर्मचारियों के अनुसार, पुलिसकर्मियों ने गाली-गलौच कर धमकाया और कहा कि “यह दुकान अब हमारी मर्जी से चलेगी।”

बताया जा रहा है कि शनिवार रात 8 बजे गिलट बाजार चौकी के प्रभारी जमुना प्रसाद तिवारी और दीवान आलोक कुमार शराब की एक दुकान पर पहुंचे और वहां पहुंचने के बाद बिना किसी पूछताछ के उत्पात मचाने लगे। इस दौरान दोनों पुलिसकर्मियों ने दुकान के कर्मचारियों को धमकाया और दुकान का सामान तोड़ दिया। दुकानदार के अनुसार, दीवान आलोक कुमार पिछले कुछ हफ्तों से उनसे अवैध वसूली की मांग कर रहे थे। पहले दुकान पर पहुंचकर वसूली के लिए बोल रहे थे। बाद में दुकानदार को फोन कर चौकी पर बुलाने लगे। दुकानदार ने कहा आज भी उनके पास इसके साक्ष्य और रिकार्डिंग है। आरोप लगाया कि जब पुलिस की मांग पूरी करने से मना किया गया, तो इस घटना को अंजाम दिया गया।

*सीसीटीवी फुटेज में दिखी पुलिस की गुंडागर्दी*

इस घटना का सीसीटीवी फुटेज अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिसमें पुलिसकर्मी दुकान में घुसकर सामान को फेंकते हुए और कर्मचारियों को धमकाते हुए नजर आ रहे हैं। फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि दोनों पुलिसकर्मी दुकान में घुसे और बिना पूछताछ के सीधे कार्रवाई शुरू कर दी और गाली देते हुए सामान फेंकना शुरु कर दिया। खास बात यह है कि दुकान के पास आबकारी विभाग का वैध लाइसेंस था, इसके बावजूद पुलिस ने नियमों को ताक पर रखकर तांडव मचाया।

घटना के बाद स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों में गुस्सा है। उनका कहना है कि पुलिस का यह रवैया सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है। स्थानीय व्यापारियों ने सरकार और अधिकारियों से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। वहीं पीड़ित दुकानदार ने उच्चाधिकारियों से शिकायत करने की बात कही है।

> *यह घटना सिर्फ पुलिसकर्मी की गुंडागर्दी नहीं, बल्कि यह पूरे सिस्टम पर सवाल उठा रही है। क्या यह वही पुलिस है जो जनता की सुरक्षा का दावा करती है?*

> *क्या यही है सरकार का सुशासन मॉडल, जहां सुरक्षा की जिम्मेदारी जिन पर है, वही कानून को तोड़ने में लगे हैं?*

> *सरकार कानून व्यवस्था की सख्ती और पारदर्शिता की बात करती है, मगर ये है जमीनी हकीकत। एक वैध व्यवसाय को जब अवैध वसूली के नाम पर पुलिस के ही लोग तहस-नहस कर दें, तो आम जनता किससे उम्मीद करे?*

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