
“एक शानदार अफसर”:अयोध्या के एसडीएम सदर विकास धर दुबे ने बदली प्रशासन की परिभाषा
स्टार न्यूज़ टेलीविजन
राकेश की रिपोर्ट
लखनऊ:क्या कोई अधिकारी इतना सहज, ईमानदार और जनता के प्रति समर्पित हो सकता है कि लोग खुद उसकी तारीफ करने लगें? क्या प्रशासनिक कुर्सी पर बैठा व्यक्ति सच में जनता का सेवक बन सकता है? अगर आपको इन सवालों के जवाब नहीं मिल रहे, तो अयोध्या के एसडीएम सदर विकास धर दुबे से मिलिए।
जब से उन्होंने अयोध्या सदर में कार्यभार संभाला है, तब से आम जनता की समस्याओं के समाधान के प्रति उनकी तत्परता और संवेदन शीलता चर्चा का विषय बनी हुई है। क्या यही वो बदलाव नहीं है, जिसका लोग वर्षों से इंतजार कर रहे थे?
जनता से सीधा जुड़ाव – क्या हर अधिकारी ऐसा कर पाता है
एसडीएम सदर विकास धर दुबे न केवल सरकारी कार्यों को तेज गति से निपटाने में दक्ष हैं, बल्कि जनता दरबार में उनकी सहजता और संवेदनशीलता देखते ही बनती है। उनके पास अपनी समस्या लेकर आने वाला व्यक्ति यह महसूस करता है कि वह किसी अधिकारी से नहीं, बल्कि अपने ही किसी परिजन से मिल रहा है। क्या यही वो प्रशासनिक मॉडल नहीं है, जिसकी जरूरत पूरे देश को है?
भ्रष्टाचार और अराजक तत्वों पर सख्त क्या हर अफसर जुटाता है इतनी हिम्मत ?
भू-माफिया, अराजक तत्वों और अवैध गतिविधियों पर उनकी लगातार हो रही कार्रवाइयों से यह साफ है कि वे भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ कितने सख्त हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन’ के सपने को जमीन पर उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। क्या यह दिखाता नहीं कि अगर एक अधिकारी ठान ले तो व्यवस्था बदल सकती है?
शानदार है अफसर “पहले ऐसा एसडीएम कभी नहीं देखा
वरिष्ठ वकीलों और अधिकारियों का भी मानना है कि एसडीएम सदर विकास धर दुबे ने प्रशासनिक प्रक्रिया को सुचारु और प्रभावी बना दिया है। जहां पहले महीनों तक फाइलें टेबल पर धूल फांकती थीं, अब वहीं किसी भी व्यक्ति की अर्ज़ी या फाइल बेवजह लंबित नहीं रहती। क्या ऐसे अफसरों की संख्या बढ़नी नहीं चाहिए?
शोषितों और वंचितों के लिए आसान हुइ राह
एसडीएम सदर विकास धर दुबे न केवल प्रशासनिक मामलों में निष्पक्षता से फैसले लेते हैं, बल्कि गरीब, वंचित और शोषित वर्ग की हरसंभव सहायता के लिए भी जाने जाते हैं। क्या यही असली प्रशासनिक सेवा नहीं है और किसी फैसले पर उगली न उठना एक बडी दूरदर्शिता भी है।