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पत्रकार भाईयो ठाकुर या ठाकुरवाद नहीं जाति-तोड़ो वाद चलाने की उम्मीद किससे है !

(ब्यंग राकेश पाण्डेय)

कम से कम अब तो मीडिया वालों को यह झूठ फैलाना बंद कर देना चाहिए कि योगी जी का राज, सिर्फ ‘ठोक दो’ का राज है। अब तो यह खुद मीडिया वालों की आपबीती हो चुकी है कि योगी जी का राज, ‘ठूंस दो’ यानी सलाखों के पीछे ठूंसने का राज भी है। तभी तो पत्रकार अभिषेक उपाध्याय और उनके ही जैसे एक और पत्रकार के खिलाफ पुलिस इतनी मेहरबान है कि उनके खिलाफ सिर्फ एफआइआर दर्ज की गयी है। जी हां, न ठोक दो, न ऑपरेशन लंगड़ा, सिंपल एफआइआर। और वह भी तब, जबकि इन पत्रकारों ने यह लिखने की जुर्रत की है कि यूपी में न ‘ठोक दो’ राज है, न ‘बुलडोजर राज’ है, यूपी में तो ठाकुरवाद है।

याद रहे कि पत्रकारों के मामले में योगी जी की पुलिस ने इतनी नरमी इसके बावजूद बरती है कि उपाध्याय के मामले में एफआइआर में खुद पुलिस ने लिखा है कि आदित्यनाथ महाराज जी उनके लिए ईश्वर के अवतार के समान हैं। वैसे लिखने को एफआइआर में यह भी लिखा गया है कि देश के सभी मुख्यमंत्रियों में कोई और मुख्यमंत्री उनकी लोकप्रियता के करीब तक नहीं पहुंचता है, कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर योगी जी के सबसे ज्यादा फोलोवर हैं आदि, आदि। लेकिन, असली बात है, योगी जी का ईश्वर के अवतार के समान होना। जो महाराज ईश्वर के अवतार के समान हैं, उनकी भी शान में गुस्ताखी करने वालों के साथ भी पुलिस एफआइआर-एफआइआर ही खेल रही है। फिर भी शोर मच रहा है, ठोक दो राज का। ऐसा ही ‘ठोक दो राज’ होता, तो ईश्वर के अवतार की बेअदबी में उपाध्याय जी ठोक न दिए गए होते।

कहीं ऐसा तो नहीं कि योगी महाराज को ईश्वर का अवतार डिक्लेअर करने के बावजूद, पुलिस वाले कन्फ्यूज हों कि उपाध्याय वगैरह ने अवतार की बेअदबी की है, तो कैसे? योगी जी के राज में जो चल रहा है, उसे ठाकुरवाद बताकर? पर क्या योगी जी ठाकुर नहीं हैं? जो ठाकुर है, वह ठाकुरवाद नहीं चलाएगा, तो क्या जाति-तोड़ोवाद चलाएगा? वैसे यह दलील फिर भी बनती है कि योगी जी ठाकुर हैं नहीं, पहले थे। योगी बनने के बाद, ठाकुर-ठाकुर नहीं रहते हैं। कहा भी है, जाति न पूछो साधु की। पर पुलिस की मानें, तो योगी जी साधु कहां, वह तो ईश्वर के अवतार हैं। और हमारे यहां ईश्वर के अवतारों की जाति कहीं नहीं जाती है। ईश्वर के अवतारों की तो जाति ही पूछी जाती है। और जिन अवतारों की जाति का मामला साफ नहीं है, अब तो उनकी जाति भी रिसर्च कर-कर के खोजकर निकाली जा रही है। फिर ईश्वर के अवतार की जाति का जिक्र करने में बेअदबी होने का क्या चांस है?

वैसे यूपी पुलिस के कन्फ्यूज होने की एक और वजह हो सकती है। योगी महाराज को तो अब ईश्वर का अवतार डिक्लेअर किया गया है, मोदी जी ने तो अप्रैल में आम चुनाव के दौरान ही अपने नॉन-बायोलॉजीकल यानी देव लोक का प्राणी होने की स्वत: घोषणा कर दी थी। सेंटर में गद्दी पर ईश्वर का एक अवतार, यूपी में गद्दी पर ईश्वर का एक और अवतार, लगता है कि यूपी पुलिस वाले चकराए हुए हैं कि इन अवतारों में किसे बड़ा मानें, किसकी पूजा पहले करें। लखनऊ यूनिवर्सिटी में चांसलर और वाइस चांसलर से अपने बर्थ डे पर आरती करा के मोदी जी ने पहले ही बाजी भी मार ली है। रही बात अवतारों की जाति के जिक्र से बेअदबी होने की तो, मोदी जी तो खुद आए दिन चुनाव अपने ओबीसी होने का ढोल पीटते रहते हैं। वह तो इंतजार करते हैं कि कोई उनके राज में मनुवाद नहीं, ओबीसीवाद चल रहा बताए। फिर योगी माहाराज को ठाकुरवाद का नाम लेने से क्या प्राब्लम है।
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