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महापौर अपनी शक्तियों का प्रयोग करके 20-25 दिनों में स्थायी समिति का गठन कर सकता है।– कांग्रेस

सुषमा रानी

नई दिल्ली, 15 जनवरी, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर निगम में सदन के एक दिन के सेशन पर प्रतिक्रिया करते हुए निगम के पूर्व नेता जितेन्द्र कुमार कोचर ने कहा कि दिल्ली की जनता से चुनाव से पहले किए गए वायदों को पूरा करने में विफल आम आदमी पार्टी निगम चलाने में भी पूरी तरह विफल साबित हुई है। उन्होंने कहा कि एक साल में स्थायी समिति का गठन करने में नाकाम सत्ताधारी दल को स्थायी समिति के सभी अधिकार सदन को देने चाहिए, क्योंकि मेयर की रजामंदी से आयुक्त द्वारा निगम का बजट पेश करने की अलोकतांत्रिक अनियमितता आम आदमी पार्टी पहले ही कर चुकी है। उन्होंने कहा कि स्थायी समिति का गठन न होने के कारण 50 से अधिक ले-आउट प्लान लंबित पड़े है। उन्होंने कहा कि नगर निगम में स्थायी समिति सर्वोच्च समिति होती है, जिसके चलते सभी वित्तिय मंजूरी अधिकतर स्थायी समिति से ही ली जाती है और 5 करोड़ से अधिक राशि की निविदा में एजेंसी के चयन का अधिकार सिर्फ स्थायी समिति के पास है। स्थायी समिति का गठन नही होने की स्थिति में दिल्ली में जनता से जुड़े कार्य लगभग रुक पड़े है, जिसके कारण दिल्ली की कालोनियों व जेजे कलस्टरों व पुनर्वास कालोनियों में विकास के काम ठप्प पड़े है।

निगम में कांग्रेस दल की नेता नाजिया दानिश ने कहा कि स्थायी समिति का गठन करने की नियत नही है सत्तारुढ़ दल की, क्योंकि मेयर अपनी शक्तियों का प्रयोग करके 20-25 दिनों में स्थायी समिति का गठन कर सकती हैं। लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत महापौर या निगमायुक्त स्थायी समिति के अधिकारों का प्रयोग नही कर सकता। उन्होंने कहा कि स्थायी समिति का गठन नही होने से दिल्ली नगर निगम के बहुत सारे कार्य और प्रस्ताव लंबित पड़े हुए है। वार्ड व जोन कमेटियों के गठन भी नही होने पर काम रुके हुए है जिसके कारण नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पार्षद मांग करते है कि जब तक स्थायी समिति का गठन नही होता उसकी शक्तियां सदन को दे देनी चाहिए।

प्रवक्ता अनुज आत्रेय ने कहा कि दिल्ली में गंदगी और कूड़े के अंबार लगे होने के कारण राजधानी हाल ही में हुए स्वच्छता अभियान सर्वे में लगभग अंतिम छोर पर है, जिसके लिए सफाई व्यवस्था व रख-रखाव करने वाला दिल्ली नगर निगम जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि कूड़ा उठाने के लिए एजेंसी नियुक्त करना या कूड़े के पहाड़ों पर ट्रामल मशीनों की संख्या बढ़ाने के लिए दूसरी एजेंसियों के चयन आदि प्रस्ताव के फैसले स्थायी समिति का गठन नही होने के कारण लंबित पड़े है।

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