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20,000 बसों की जरुरत के बाद मात्र 500 बसें इलेक्ट्रिक बसें देकर सरकार ऊँट के मुँह में जीरा देने की कहावत को चरितार्थ कर रही है। – अरविन्दर सिंह लवली

सुषमा रानी

नई दिल्ली, 14 दिसम्बर, 2023 – दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरविन्दर सिंह लवली ने प्रदेश कार्यालय में संगठन मजबूत करने और आगामी रणनीति तैयार करने के लिए बुलाई गई जिला अध्यक्षों और जिला पर्यवेक्षकों की बैठक में कहा कि राजधानी में महिला सुरक्षा, बढ़ते प्रदूषण, ध्वस्त सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था जैसे अहम मुद्दो का हल निकालने में अभी तक दिल्ली सरकार पूरी तरह विफल रही हैं, दिल्लीवालों की समस्याओं के निवारण लिए नीति बननी चाहिए।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में बिगड़ती कानून व्यवस्था के चलते बढ़ते अपराधों के कारण महिला सुरक्षा एक चिंताजनक विषय बन गया है, जिस पर केन्द्र और दिल्ली सरकार काम न करके पल्ला झाड़ने की राजनीति कर ही है। उन्होंने कहा कि राजधानी में दमघोटू प्रदूषण का मुख्य कारण वाहन प्रदूषण है जिसके मुख्यतः दिल्ली ध्वस्त सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में डीटीसी बेड़े में केवल 5 हजार के करीब ही बसें है जिनमें से आधी से अधिक की लाईफ पूरी हो चुकी है और जो बसंे चल रही है वो भी प्रदूषण फैला रही है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली के लिए नई 500 इलेक्ट्रिक बसे चलाने से दिल्ली की ध्वस्त परिवहन व्यवस्था दुरुस्त नहीं होगी क्योंकि दुरस्त परिवहन व्यवस्था के लिए राजधानी को 20,000 बसों की जरुरत है ताकि लोग स्कूटर और मोटर साईकल का कम से कम प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि 500 नई इलेक्ट्रिक बसें उपलब्ध कराने की बात केवल ऊट के मुँह में ज़ीरे के समान है।

उन्होंने कहा कि परिवहन व्यवस्था दुरुस्त करने और प्रदूषण नियंत्रण करने की दिशा में हमारी कांग्रेस की दिल्ली सरकार ने दिल्ली के परिवहन सिस्टम को एक साथ सीएनजी बसों में तबदील करके क्रांतिकारी कदम उठाया था। पिछले 10 वर्षों में परिवहन व्यवस्था सुधारने की बजाय केन्द्र और दिल्ली सरकार आरोप प्रत्यारोप की राजनीति करती हैं। उन्होंने कहा कि मेट्रो लाइन, फ्लाई ओवरों का जाल बिछाना और दिल्ली को विश्व की क्लीन सिटी बनाने के नाम पर दिल्ली की जनता ने कांग्रेस को जिताया। आज ध्वस्त परिवहन व्यवस्था, प्रदूषण, खस्ता हाल सड़के, कूड़ा कचरा ग्रस्त गलियां, भरी नालियां और ओवर फ्लो सीवर, सीवेज प्लांटों की कमी, खस्ताहाल सीवर सिस्टम, लैंड फिल साईटों पर कूड़े के पहाड़ बनना आदि कुछ ऐसी जटिल समस्याऐं हैं जिनको केन्द्र और दिल्ली सरकार सहित दिल्ली नगर निगम निजात दिलाने में पूरी तरह विफल रहे हैं।

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