सिविल एन्क्लेव संबंधित आधारभूत सूचनाओं के हिन्दी और उर्दू में ‘सूचना पट ‘लगवाये जायें।
स्टार न्यूज़ टेलीविजन आगरा
सिविल एन्क्लेव संबंधित आधारभूत सूचनाओं के हिन्दी और उर्दू में ‘सूचना पट ‘लगवाये जायें
मेयर और जि.पं.अध्यक्ष के माध्यम से पार्षदों और सदस्यों को आधिकारिक जानकारी दी जाए
सिविल एन्क्लेव आगरा के निर्माण का कार्य शुरू हो गया है किंतु प्रोजेक्ट को लेकर नागरिकों में अनिश्चय की स्थिति यथावत बनी हुई है। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का कहना है कि आगरा के लोक जीवन में सबसे महत्वपूर्ण और पहली प्राथमिकता वाले इस प्रोजेक्ट के बारे में सटीक जानकारी आधिकारिक रूप से जन सुलभ करवायी जाये। इसके लिये धनौली-बल्हेरा स्थित साइट पर हिन्दी व उर्दू भाषा में आधारभूत सूचना पट लगवाया जाना आवश्यक है,जिसमें कि प्रोजेक्ट के शुरू होने ,पूरा होने, लागत ,सुप्रीम कोर्ट से क्लीयरेंस संबंधित केस नम्बर और दिनांक आदि मानक सूचनाये शामिल हैं।
इस होर्डिंग में वाकायदा स्पष्ट किया जाये कि फेस-1 के तहत क्या क्या कार्य होने है और फेस-2 के तहत क्या कार्य किये जाने हैं।
इसी सूचना पट की प्रतियां कलेक्ट्रेट परिसर और नगर निगम के परिसरों के आसपास भी लगवाई जायें। दरअसल इन सूचना पटों की जरूरत नागरिकों में व्याप्त भ्रांतियों के निवारण के लिये अत्यंत जरूरी है। हैं।उपयुक्त तो यह भी होगा कि नगर निगम को मेयर में माध्यम से तथा जिला पंचायत सदस्यों को जिला पंचायत अध्यक्ष के माध्यम से एयरपोर्ट अथॉरिटी अवगत करवायें।
2012 से सरकारों के द्वारा सिविल एयरपोर्ट को वायुसेना स्टेशन परिसर से बाहर लाये जाने की बात कही जाती रही है,लेकिन अब इसे केवल चुनावी मुद्दा ही माना जाने लगा है। वायुसेना के माध्यम से वृक्ष पातन
नयी अधिग्रहित जमीन के कारण प्रोजेक्ट के लिये 413 पेड़ काटे जाने हैं, जिनमें से 366 पेड वायु सेना के अधिकार क्षेत्र में आते हैं,इस लिये अगर वायुसेना के माध्यम से अनुमति मांगी जाती तो आसानी से मिल जाती और प्रोजेक्ट अबाधित गति से जारी रखा जा सकता था।
मौजूदा सिविल एयरपोर्ट आगरा पर्यटन उद्योग और आम नागरिकों के लिये पूरी तरह से अनुपयोगी है।वायुसेना परिसर के बीच में स्थित होने के कारण हवाई यात्रियों को इस तक पहुंच देश के किसी भी एयरपोर्ट की तुलना में कहीं अधिक खर्चीली और मुश्किल भरी है।केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के मंत्रियों,अधिकारियों और माननीयों के अलावा अन्य सभी को बेहद अप्रिय स्थितियों का सामना करना पडता है। यात्री लाऊंज के बारे स्थिति स्पष्ट हो
हवाई यात्रियों की सुविधा के नाम पर एयरपोर्ट अथॉरिटी और जनप्रतिनिधियों ने वायुसेना परिसर में अर्जुन नगर गेट पर 7 करोड़ की लागत से यात्रि लाऊंज बनवाया गया है किंतु इसका उपयोग न तो शुरू हुआ है और नहीं इसकी संभावना है। वायुसेना के द्वारा इसका उपयोग शुरू करने के लिए जो अपेक्षायें की जा रही है,जो न तो वह संभव प्रतीत नहीं ।
करोड़ों से बना लाउंज ‘बना हुआ है शो पीस
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा का मानना है कि अर्जुन नगर गेट पर वायुसेना परिसर में कई करोड लागत से बनकर तैयार खडा यात्रि लाऊंज शायद ही उपयोग में आना शुरू हो सके। एयर फोर्स अपने परिसर में गेट पर चैकिंग के बिना बसो या यात्रि वाहनों को सामान्य रूप से अनुमति नहीं देते। बस से (पेड सर्विस) अर्जुन नगर गेट पर उतर कर चैकिंग करवा के लाऊंज जाने के बाद फ्लाइट के समय टर्मिनल बिल्डिंग के लिये फिर से अन्य या उसी बस(पेड सर्विस) में सवार होने की अपेक्षा किसी भी रुप में व्यवहारिक नहीं है।नहीं इस प्रकार का कारनामा देश के किसी भी अन्य एयरपोर्ट पर हो रहा है।
तीन साल पूर्व जब यह लाऊंज बनाये जाने की योजना बनाई जा रही थी, उस समय भी सिविल सोसायटी की ओर यात्रि लाऊंज के वायुसेना स्टेशन की बाउंड्री में होने से प्रवेश संबंधी समस्या को संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में लाए जाने की कोशिश की थी।
एयरकार्गो के लिये बडी संभावनाएं
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा का मानना है कि एयरपोर्ट का निर्माण शुरू होने के साथ ही एयरकार्गो के भवन आदि को बनाये जाने का काम तेजी से शुरू करने पर भी विचार करना चाहिये। क्योंकि मध्यपूर्व और पैसफिक क्षेत्र में अशांति का माहौल है, शिप मूवमेंट प्रभावित हैं। इंश्येरेंस कंपनियां भी बढे हुए जोखिम से हतोत्साहित हैं।फलस्वरूप आयात -निर्यात का बड़ा कारोबार आने वाले समय में हवाई मार्ग से होना अनुमानित है। आगरा विदेश व्यापार की भरपूर संभावनाओं वाला महानगर है,यहां का एयरपोर्ट एग्रीकल्चर प्रोड्यूस के निर्यात उपयुक्त वाले एयरपोर्ट के रूप में सूचीबद्ध है। यह बात अलग है कि निर्यातकों और एयरपोर्ट से ऑपरेट करने वाली एयरलाइंसों के बीच सामंजस्य का अभाव है।
उल्लेखनीय है कि सिविल एयरपोर्ट के लिये सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने 4 दिसंबर 2019 को पूर्व से अधिग्रहित 51.57 एकड़ जमीन पर निर्माण की अनुमति प्रदान कर दी थी।लेकिन तत्कालीन मौजूदा हवाई यातायात में बढ़ोतरी न करने का प्रतिबंध में लगा दिया था। जिसे कि जनवरी 2023 में जस्टिस संजय किशन काल की बेंच ने संशोधित कर, एयर ट्रैफिक न बढाने संबधित शर्त को हटा दिया था।
इस आदेश के बाद से सिविल एन्क्लेव को निर्माण का मार्ग पूरी तरह से प्रशस्त हो गया किंतु इसी दौरान एयरपोर्ट अथॉरिटी ने उप्र सरकार से अप्रत्याशित रूप से 92.50 एकड़ जमीन की और डिमांड कर दी।जिसे सरकार ने पूरा तो कर दिया किंतु सिविल एन्क्लेव के निर्माण का काम रुक गया।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा का पक्ष
इस पर सिविल सोसायटी आफ आगरा की सरकार से मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट जो प्रोजेक्ट जनवरी 2023 में स्वीकृत किया है, उस पर तो काम शुरू करवादें।लेकिन एयरपोर्ट अथॉरिटी ने पुन: डी पी आर बनवा के टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी ।
यही नहीं अधिकार संपन्न अधिकारियों ने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट नहीं जाना पडेगा।जो अनुमति मिल चुकी है, उसी से निर्माण कार्य शुरू कर लेंगे।लेकिन समय के साथ स्पष्ट हो गया कि उप्र सरकार के द्वारा 92.50 एकड़ जमीन उपलब्ध करवायी गयी जमीन के लिये अलग से पेड़ आदि काटने की फिर से अनुमति लेनी पडेगी।
वस्तुत: एयरपोर्ट अथॉरिटी शुरू में तो सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के इस सुझाव तक पर तैयार नहीं थी कि स्वीकृत प्रोजेक्ट को फेस -1 के काम के रूप में शुरू करवाया जाये और अनुमति आ जाने के बाद शेष काम को फेस-2 के काम के रूप में करवाना शुरू किया जाये।जैसा कि अब उसे करवाना पड रहा है।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा का यह भी सुझाव और मांग थी कि बाद में अधिग्रहित की गई 92.50 एकड़ जमीन पर खडे 413 पेडों को काटने की अनुमति के लिये अधिग्रहण से पूर्व ही वायुसेना की ओर से अनुमति मंगवाई जाये,जो अत्यंत सहजता से संभव थी।
सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा के द्वारा आयोजित प्रेसवार्ता में सर्वश्री शिरोमणि सिंह, अनिल शर्मा, राजीव सक्सेना , असलम सलीमी आदि उपस्थित थे।
आगरा से पत्रकार अमीन अहमद की रिपोर्ट