आखिर कांग्रेस ही फंस गई केजरीवाल के जाल में
RSS ने बड़े करीने से केजरीवाल को ही हीरो बना दिया और राहुल गाँधी की यात्राओं को जनता की आँखों से ओझल l इसमें कोई शक नही कि संघ का पूरा पूरा प्रयास हैं कि कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से बाहर कर दिया जाये और केजरीवाल को उसका बदल जिसके मुखौटे से 2014 और 2019 की वैतरणी पार की थी , जब उसे लगा कि अब कांग्रेस का मुकाबला कर पाना संभव नही l
याद होगा किस प्रकार नितीश को आगे कर INDIA गठबंधन् का गठन किया उसी समय नीतिश ही तेजस्वी को लेकर दिल्ली केजरीवाल के निवास पर गया था और उसके बाद केजरीवाल और ममता ने खड़गे के नाम पर प्रधान मंत्री की मोहर लगा दी थी , ताकि कांग्रेस ही केजरीवाल का नाम आगे बढ़ा दे परंतु वह बात टल गई, विधान सभा चुनावों ने क्रनाटक और तिलंगाना ने कांग्रेस में नयी ऊर्जा का संचार कर दिया उधर राजस्थान में केजरीवाल, मध्यप्रदेश में अखिलेश ने कांग्रेस को बताने की कोशिश की कि उनके बिना कांग्रेस 2019 के हालात से गुजरेगी और ममता से यह कहलवा भी दिया l एक समय यह भी था कि कांग्रेस RLD को अपने साथ लेने में कामयाब नजर आ रही थी परंतु अखिलेश के कारण वही भाजपा की गोद में l इसी स्सोपंज में कांग्रेस को समझ आने लगी तो उसने अपने UPA के गठबंधन् को सतही मानते हुए 300 उमीदवार खड़े करने की ओर बढ़ गई जिसके लिए मैने लिखा था कि कांग्रेस का विश्वास पात्र कुनबा UPA ही हैं उसी का आधार बना लेना चाहिए , जैसे ही कांग्रेस
बढ़ी तो यही उसके साथ होने के प्रयास में , मैने उस समय फिर चेताया कि केजरीवाल और ममता कांग्रेस को फिर ढच्चा देगी , इधर संघ इस तरतीब में था कि केजरीवाल इस गठबंधन् में बना रहे ताकि भाजपा के वोट की बजाय कांग्रेस के वोट को साध ले और कांग्रेस की सीट भी कम हो जायें , उसका इससे राष्ट्रीय दर्जा भी बना रहे , अब खेल शुरू हुआ ED द्वारा सम्मन का एक के बाद एक ताकि कांग्रेस को लगे केजरीवाल का मोदी सरकार शिकार करने में उतारू अन्यथा कोई भी कानून की समझ रखता हो जब किसी अथार्टी ने प्रक्रिया शुरू की हो तो वही कैसे वापिस ले , यदि कोई relief मिलेगा तो वह उससे उपर की अदालत में , वह भी मुख्य मंत्री हो उसको इस बात की समझ न हो जबकि उसके पास धन ब्ल की कमी कहाँ थी यह रास्ता जान बूझ कर चुना गया ताकि एक समय ऐसा आ जाये कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाये तो इस हालात से बाहर निकलने का , परंतु उच्च न्यायालय ने ही फटकार उन 8 आदेशों का हवाला देते हुए वापिस जिला ञायालय की बात कर दी , कांग्रेस पहले से बैंक खातों के फरीज़ होने के कारण तिल्मिलायी हुई थी , इन घटना क्रमों ने केजरीवाल को हीरो बना दिया जबकि ED की पूरी कार्यवाही ही कांग्रेस की शिकायत पर आधारित l
कांग्रेस क्या यह समझ ही नही पायी जो केजरीवाल संघ के घोड़े पर स्वार हो उसको ही छटी का दूध पिला रहा था वह उसी के जाल में फंस गई l अब यह मौका मोदी सरकार ने उसे दे दिया हैं , उसको इससे बाहर निकलना चाहिए INDIA गठबंधन् कोई गठबंधन् हैं ही नही , केजरीवाल वही हैं जो 2013-14 के दौरान केन्द्र में मोदी दिल्ली में केजरीवाल , मृणाल पांडे के उस दौरान के लेख को पढ़ लेना चाहिए जिसमें यह बताया गया “संघ को एक ऐसे व्यक्ति की तलाश थी जो स्वच्छन्द होकर संघ के अजेंडा को लागू करे उसके राज में कोई यह न कह सके कि धर्म की आड़ में वह वंदे मात्रम नही गायेगा “l इन दस वर्षों का यह मूँह बोलता चरित्र हैं जिसने बहुसंख्यक फिरका परस्ती से परदा हटा दिया हैं सिख और मुस्लिम नीति निर्धारण प्रक्रिया से ही बाहर l केजरीवाल ने संघ का पूरा साथ संघ का दिया हैं , इसमें कोई दो राय हो ही नही सकती , नोटबन्दी हो, 370 हो, CAA हो कोविड के दौरान मुस्लिम को निशाना बनाना हो , किसानी कानूनी पर प्रथम notification जारी करनी हो , शायद कांग्रेस य़ा तो भोली हैं अन्यथा मूर्ख , यह उसे समझना होगा, कम से कम पंजाब कांग्रेस ही हैं जो समझ गई, केजरीवाल का दल कांग्रेस से छिटक ही जाये तो ज्यादा से ज्यादा राजस्थान की तर्ज पर 0.93 फीसद ही काट सकता हैं अब तो वह उस सतह पर भी नही रहा , कांग्रेस को दिल्ली और हरियाना में कांग्रेस को पंजाब की तर्ज पर चुनाव की ओर बढना होगा , शेष तो कांग्रेस को सोचना हैं l
दया सिंघ