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दिल्ली में संविधान के 75वें वर्ष को समर्पित विचार संगोष्ठी

 

दिल्ली : 11.01.2025 : all india peace mission द्वारा प्रेस क्लब आफ इंडिया दिल्ली में संविधान के 75वें वर्ष को समर्पित विचार संगोष्ठी, डा . मनमोहन सिंह पूर्व प्रधान मंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित और दया सिंह द्वारा लिखित किताब संविधान के 75वें वर्ष को समर्पित करने हेतू आहुत की गयी जिसमें विशेष तौर पर मो.अदीब पूर्व राज सभा सांसद अनेकों पत्रकार और गणमान्य विचारकों जिनमें चंडीगढ़ , जम्मू-कश्मीर और मणिपुर से भी l

आरम्भ गुरुवाणी के शब्द बिसर गयी सभ तात परायी … से किया गया उपरांत मौन रह कर डा मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी और फिर भारत के संविधान के 75 वें वर्ष को समर्पित पुस्तक का विमोचन किया गया l मंच संचालन प्रो. शशि शेखर सिंह और अध्यक्षता जाने माने वकील N .D .Panchauli ने की l

कुर्बान अली वरिष्ठ पत्रकार ने key note address से संगोष्ठी का आरम्भ किया जिसमें विशेष कर कयी मुद्दों को चिन्हित करते हुए यह बताया संविधान कितना भी बढ़िया हो परंतु निर्भर उसको चलाने वालों पर करता है, यही गत दस वर्षों का इतिहास रहा है संविधान को सजदा तो किया परंतु उसी की धज्जियां उड़ती देश ने देखी हैं , मो. अदीब ने इसी संविधान को आधार बना देश में क्या हालात पैदा कर दिये मुस्लिम बिल्कुल ही अलग थलग पड़ते चले गये अब तो जो कुम्भ मेले पर जिस प्रकार से मुस्लिमों के बारे में ऊल जल्लूल अफवाहें की जा रही है उससे तो ऐसा अहसास करवा दिया कि क्या मुस्लिम इस देश का हिस्सा भी हैं, राजनीति को धर्म के चश्में से देखा जाने लगा है , आत्मजीत सिंह, गुरप्रीत सिंह, खुश हाल सिंह , जयशंकर गुप्ता, त्सलीम रहमानी ने भी संविधान के 75 वर्ष के खाके को पेश करते हुए देश का आज के हालात को चिन्हित किया l

आईना भारत के संविधान के 75 वें वर्ष को समर्पित का लोकार्पण किया गया उस पर दया सिंह (मैंने) अपने विचार प्रस्तुत करते हुए यह कहा कि इस संगोष्ठी का आयोजन इस लिये भी जरुरी हो गया क्योंकि 26.10.2024 को चंडीगढ़ में सिख और मुस्लिम की विशेष बैठक में यह प्रस्ताव था कि संविधान पर चर्चा हो, उसकी शुरुआत 26.11.2024 को जालंधर प्रेस क्लब की प्रथम बैठक से की गयी और यह भी निश्चय किया गया कि 2025 का वर्ष संविधान पर dialogue को समर्पित हो उसके बाद पूना में भी इस पर चर्चा की गयी और आज दिल्ली की प्रेस क्लब में आपके सम्मुख , मेरा मानना है कि हुकम सिंह और भूपिन्द्र सिंह मान संविधान सभा से walk out इसलिये 26.11.1949 को कर गये कि आशंका थी कि यह संविधान अल्पसंख्यक खास तौर पर सिख और मुस्लिम जिनके साथ कॉंग्रेस और गांधी ने जो वायदे किये उसका इस में जिक्र ही नहीं किया गया , लगता है उनकी यह आशंका सच्च साबित इन 75 वर्षों में हुई , क्योंकि मैंने 10 वर्ष उनके साथ काम किया जो चर्चा होती रही उससे उनकी पीड़ा स्पष्ट नज़र आती थी , उन्होंने 1973 में एक लेख भी ” सिखों के साथ धोखा ” छपा जबकि वे लोक सभा के उप सभा पति और फिर लोक सभा के अध्यक्ष भी रहे , जब उनसे यह सवाल पूछा गया तो उनका मानना था कि डा अंबेडकर ने एक तरफ यह कहा कि धर्म आधार पर आरक्षण नहीं किया जा सकता वहीं हिन्दू अधारित अनुसूचित जाति और जनजाति को आरक्षण दे दिया गया , एक तरफ अंबेडकर यह बता रहे थे कि वे पैदा चाहे हिन्दू हुए परंतु मरेंगे हिन्दू नहीं जबकि अनुच्छेद 25 में hindu includes सिख , बौद्ध और जैन यदि वे बौद्ध हो भी गये तो उन्होंने बौद्ध को ही हिन्दू में शामिल कर दिया , एक तरफ धर्म आधारित आरक्षण को नहीं मानते थे तो अनुच्छेद 25 में क्या हिन्दू को धर्म नहीं मान लिया , आज यदि हिंदुत्व की बिसात बिछी है उसके पीछे का सच्च तो यही है , संघ ने बड़े करीने से उस 22.50 फीसद को अपने हिंदुत्व के एजेंडा पर ला खड़ा कर लिया है यदि 2024 के लोक सभा चुनाव की समीक्षा करें तो यदि Sc /St जो बहुसंख्या में भाजपा में उनको अलग कर दिया जाये तो मोदी सरकार का अस्तित्व ही कहाँ बचा है , मज़े की बात मुस्लिम बहुसंख्यक सीट को आरक्षित करने में देर नहीं लगती , इसी कारण पहले सिख निशाने पर और फिर मुस्लिम गत दो वर्ष का मणिपुर का इतिहास ईसाइयों को भी निशाने पर , यह विसंगति तो हैं ही , इस पर चर्चा हो आज की ज़रूरत है , कोई यह कत्यी यह नहीं कह रहा कि संविधान से कोई टकराव है पर जिस तरह उसका ईस्तेमाल किया जा रहा है उसने यह शंकाएं पैदा कर दी हैं, ज़रूरत इस बात की है कि हिंदू की व्याख्या हो जिस तरह से राम मन्दिर को आस्था का सवाल उठा कर जो हुआ जग जाहिर है, आज जब मस्जिदों के नीचे मन्दिर खोज किये जा रहे हैं, क्यियों ने तो हिन्दू और सनातन का ल्बादा पहन कर हिन्दू राष्ट्र पर अभियान शुरू कर दिया है, शायद वह समझ ही नहीं पा रहे क्या नतीजे होंगे , यह गांधी ही थे जिनके कारण भारत एक secular प्रजा तंत्र स्थापित हुआ और है , रहेगा इसीलिये यह चर्चा जरुरी है ताकि इन विसंगतियों पर चर्चा हो l सभ सुखाली वूठियां , इओं होआ हलेमी राज जियो , मुगल कालीन इतिहास को जिस प्रकार पेश किया जा रहा है वह पूर्वाग्रहों से भरा है याद रखना होगा कि गुरु नानक से गुरु गोबिंद सिंह उधर बाबर् से औरंगजेब का इतिहास समकालीन है, खट्टे मीठे सम्बंध रहे , मुगल प्रशासन तो हिन्दू ही चला रहे थे , यदि सवाल है तो उन हिन्दुओं पर होना चाहिये , सिख गुरु तो हिन्दू और मुस्लिम के बीच कड़ी वह आज भी बरकरार, इसे बनाये रखना आज की ज़रूरत है , यदि गुरु ग्रंथ साहिब के आधार पर देखें तो 80 फीसद देश की जनसँख्या सिख है, यदि गुरु गोबिंद ने पंचायत का गठन किया तो लाहौर, हस्तिनापुर, बीदर , द्वारका और जगन्नाथपुरी इसी से साफ हो जाता है कि सिख विचारधारा सबको साथ लेकर चलने की सबको मीत हम आपन कीना हम सभना के साजन , इसी को ही समझ लें l

पंचौली ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में उन सभी स्वालों का जवाब देते हुए , इस अभियान की ज़रूरत को दर्शाते हुए संविधान पर चर्चा हो ताकि जो संविधान की मूल भावना उस पर आँच न आये l सब का आभार l

दया सिंह,
अध्यक्ष all india peace mission
9873222448

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