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हाफ़िज़-ए-कुरान से ईपीएस तक सफर: जानिए डा. सैयद मुस्तफा हाशमी की चौंकाने वाली कहानी

स्टार न्यूज़ टेलीविजन

हैदराबाद दुमका: जब ज़िद, ज़हमत और ज़मीर एक साथ चलते हैं, तब ऐसे अफसर बनते हैं जैसे डॉ. सैयद मुस्तफा हाशमी। एक ऐसा नाम जो न केवल UPSC रैंकर्स की सूची में दर्ज है, बल्कि लाखों युवाओं के दिलों में उम्मीद की रौशनी भी बन चुका है।

मेडिकल से प्रशासनिक सेवा तकसैयद मुस्तफा हाशमी ने उस्मानिया मेडिकल कॉलेज हैदराबाद से एमबीबीएस (2016) और MS (सर्जरी, 2020) पूरा किया। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने किंग कोटि डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में COVID-19 की सेवा करते हुए UPSC की तैयारी की। चौथी कोशिश में UPSC 2021 में 162वीं रैंक हासिल कर उन्होंने IPS अधिकारी बनने का सपना पूरा किया।एक हाफ़िज-ए-कुरन और क्विज चैंपियन

डॉ. हाशमी का जीवन सिर्फ अकादमिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक और बौद्धिक ऊंचाइयों का संगम है:वे हाफ़िज़-ए-कुरान हैं यानी उन्होंने पूरा कुरान हिफ़्ज़ किया है।उन्होंने 2010 में दक्षिण कोरिया में इंटरनेशनल बायोलॉजी ओलंपियाड में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता।

 

साल 2012 में ‘कौन बनेगा करोड़पति की हॉट सीट तक पहुंचे और अमिताभ बच्चन के साथ मंच साझा किया।2019 में ताता-ता-ता स्क्रिबल क्विज हैदराबाद भी उनके नाम रहा।पारिवारिक जीवन और पृष्ठभूमिजन्म: 24 नवंबर 1992, हैदराबाद।परिवार में माता-पिता के अलावा 3 भाई-बहन हैं। पिता एक सिविल इंजीनियर हैं और माता गृहिणी।उनकी पत्नी भी एक डॉक्टर हैं।वे अपने बचपन के कुछ वर्ष गल्फ देशों में रहकर पढ़ेवर्तमान पोस्टिंग: ASP (प्रशिक्षु), झारखंडUPSC में IPS चयनित होने के बाद वे झारखंड कैडर में नियुक्त हुए।28 अक्टूबर 2024 से वे ASP (प्रोबेशनर) दुमका, झारखंड के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। यह जानकारी झारखंड पुलिस की IPS Civil List 2025 में भी प्रकाशित है।उनका संदेश युवाओं के नामअसफलता से हार मानना मूर्खता है, उससे सीखकर आगे बढ़ना सफलता का रास्ता है। गुणवत्ता वाली पढ़ाई करो, न कि सिर्फ घंटों गिनो।उनका मानना है कि धर्म, शिक्षा और सेवा—तीनों को संतुलन में रखकर ही एक सच्चा नागरिक और अफसर बना जा सकता है।

हाल ही में उन्होंने हैदराबाद के लिटिल फ्लावर स्कूल में बतौर मुख्य अतिथि इन्वेस्टीलर सेरेमनी में हिस्सा लिया, जहां बच्चों को नेतृत्व का महत्व बताया।

डॉ. सैयद मुस्तफा हाशमी की कहानी सिर्फ एक सफल उम्मीदवार की नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान की है जिसने कुरान की रोशनी, मेडिकल की सेवा और प्रशासनिक कर्तव्यों को एक साथ निभाया। वे आज मुस्लिम युवाओं और हर मेहनती छात्र के लिए एक आदर्श हैं

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