जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज हुए ब्रह्मलीन : अंतिम यात्रा में उमड़ा जन सैलाब, डोंगरगढ़ के चन्द्रगिरि में पूजन के बाद हुआ अंतिम संस्कार
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जैन मुनि आचार्य विद्यासा जबगर महाराज हुए ब्रह्मलीन : अंतिम यात्रा में उमड़ा जन सैलाब, डोंगरगढ़ के चन्द्रगिरि में पूजन के बाद हुआ अंतिम संस्काररायपुर। जन जन के संत परम पूज्य आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ने आज रात 2.30 बजे संल्लेखना पूर्वक समाधि (देह त्याग दी) ले ली है। छत्तीसगढ के डोंगरगढ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ पर उन्होंने अंतिम सांस ली है। शरीर त्यागने से पहले उन्होंने पूर्ण जागृतावस्था में आचार्य पद का भी त्याग कर दिया था। इसी के साथ उन्होंने 3 दिन का उपवास लिया था और अखंड मौन धारण कर लिया था। उनके शरीर त्यागने की खबर मिलने के बाद जैन समाज के लोगों का डोंगरगढ़ में जुटना शुरू हो गया। पूजन के बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया।अंतिम यात्रा में उमड़ा जन सैलाबअंतिम यात्रा के बाद डोला (पार्थिव देह) को अग्निकुंड के पास रखा गया। पूजन के बाद अग्निकुंड में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का अंतिम संस्कार किया गया। देखें वीडियोछत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश में राजकीय शोकमध्यप्रदेश में सरकार के सभी सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द कर दिए गए। इसके अलावा मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में आधे दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं होंगे।अन्न और जल का कर दिया था त्यागइस खबर से देशभर में शोक की लहर है। आचार्यश्री पिछले कुछ दिन से अस्वस्थ थे। पिछले दो दिन से उन्होंने अन्न और जल का त्याग कर दिया था। आचार्यश्री अंतिम सांस तक चैतन्य अवस्था में रहे और मंत्रोच्चार करते हुए उन्होंने देह का त्याग किया। समाधि के समय उनके पास पूज्य मुनिश्री योगसागर जी महाराज, श्री समतासागर जी महाराज, श्री प्रसादसागर जी महाराज संघ सहित उपस्थित थे।अंतिम विदाई देने पूरे देश से डोंगरगढ़ पहुंच रहे लोगदेश भर के जैन समाज और आचार्यश्री के भक्तों ने उनके सम्मान में आज एक दिन अपने प्रतिष्ठान बंद रखने का फैसला किया है। रात को सूचना मिलते ही आचार्यश्री के हजारों शिष्य देश भर से डोंगरगढ पहुंच रहे हैं।पूज्य संत श्री की पवित्र जीवन यात्रा को शत-शत नमन : CM यादवमध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक्स पर पोस्ट शेयर कर लिखा, विश्ववंदनीय संत आचार्य गुरुवर श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का समाधिस्थ होना सम्पूर्ण जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। परमपूज्य गुरुवर की शिक्षाएं सर्वदा मानवता के कल्याण और जीवों की सेवा के लिए प्रेरित करती रहेंगी। पूज्य संत श्री की पवित्र जीवन यात्रा को शत-शत नमन!आचार्य श्री हमारी चेतनाओं में शाश्वत रहेंगे : कमलनाथपूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संल्लेखना पूर्वक समाधि लेने की खबर न सिर्फ जैन समाज के लिए बल्कि समूचे भारत और विश्व के लिए अपूरणीय क्षति है। ब्रह्मलीन आचार्य श्री विद्याधर जी महाराज ज्ञान, त्याग, तपस्या और तपोबल का सागर रहे हैं। भारत भूमि ऐसे अलौकिक संत के दर्शन, प्रेरणा, आशीष, स्पर्श और करूणा से धन्य हुई है। मैं आचार्य श्री विद्यासागर जी को भावपूर्ण प्रणाम करता हूं। शत् शत् नमन करता हूं। आचार्य श्री हमेशा हमारे हृदय में, हमारी चेतनाओं में, हमारी आस्थाओं में और हमारे जीवनपथ पर शाश्वत रहेंगे। युगों-युगों तक याद रखे जाएंगे आचार्य श्री : विष्णु देव सायछत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पोस्ट शेयर कर लिखा- विश्व वंदनीय, राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर महामुनिराज जी के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ में सल्लेखना पूर्वक समाधि का समाचार प्राप्त हुआ। छत्तीसगढ़ सहित देश-दुनिया को अपने ओजस्वी ज्ञान से पल्लवित करने वाले आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को देश व समाज के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्य, उनके त्याग और तपस्या के लिए युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा। आध्यात्मिक चेतना के पुंज आचार्य श्री विद्यासागर जी के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन।पिछले साल PM ने मुलाकात कर लिया था आशीर्वादपिछले साल 5 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डोंगरगढ़ पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने आचार्य विद्यासागर जी महाराज से चंद्रगिरी पर्वत में मुलाकात कर उनसे आशीर्वाद लिया और चर्चा की थी।आचार्यश्री ने दी 350 दीक्षाएंआचार्यश्री का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक प्रांत के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में हुआ था। उन्होंने 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर नगर में अपने गुरु आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज से मुनिदीक्षा ली थी। आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज ने उनकी कठोर तपस्या को देखते हुए उन्हें अपना आचार्य पद सौंपा था। आचार्यश्री 1975 के आसपास बुंदेलखंड आए थे। वे बुंदेलखंड के जैन समाज की भक्ति और समर्पण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना अधिकांश समय बुंदेलखंड में ही व्यतीत किया। आचार्यश्री ने लगभग 350 दीक्षाएं दी हैं। उनके शिष्य पूरे देश में विहारकर जैनधर्म की प्रभावना कर रहे हैं। आचार्यश्री द्वारा पिछले चार साल से दीक्षा नहीं दी गई। आखिरी बार उत्तरप्रदेश के ललितपुर में 28 नवंबर 2018 को दीक्षांत समारोह हुआ, जिसमें उन्होंने 10 को मुनि दीक्षा दी।
आगरा से पत्रकार अमीन अहमद की रिपोर्ट