Delhiताज़ा तरीन खबरें

कोचिंग सेंटर की मनमानी पर लगा अंकुश!

सुषमा रानी : नई दिल्ली।फाउंडेशन कोर्स के नाम पर बच्चे 8वीं, 9वीं से ही तैयारी की रेस में लग जाते हैं. अच्छे नंबर… अभी से तैयारी करेंगे तो आगे आसान हो जाएगा… नौकरी की गारंटी समझिए… कुछ ऐसे ही भ्रामक वादों और दावों के चलते मां-बाप अपने बच्चों को कम उम्र में ही कोचिंग संस्थानों में डाल देते हैं. यूं समझिए ये शिक्षण संस्थानों के समानांतर काम करने लगे हैं. अभिभावकों को बताया जाता है कि हम बच्चे को अभी से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराएंगे, आईआईटी पास करना आसान हो जाएगा. रही बात 9वीं-10वीं की परीक्षा की तो हम परीक्षा भी दिलवा देंगे. जी हां, कोचिंग संस्थान कॉलेजों में एडमिशन भी दिलवा देते हैं. अब सरकार ने इस पर शिकंजा कस दिया है.

शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइंस

जी हां, अब कोचिंग के नाम पर दुकानें नहीं चलने वाली हैं. शिक्षा मंत्रालय ने नई गाइडलाइंस जारी की है, जिसके तहत कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के स्टूडेंट्स का अपने यहां दाखिला नहीं कर सकेंगे. कोचिंग संस्थानों को कानूनी दायरे में लाने के लिए ऐसा किया गया है. देश के कई शहरों में कोचिंग संस्थान तेजी से बढ़ रहे हैं. एक तरह का रैकेट काम करने लगा है. कम उम्र से ही बच्चों पर प्रेशर बढ़ रहा है और वे जल्दी निराश होकर सुसाइड जैसा खौफनाक कदम उठा रहे है. इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.

जाल में तो नहीं फंस रहे मां-बाप

मंत्रालय ने कहा है कि स्टूडेंट्स की आत्महत्या के बढ़ते मामलों, आग की घटनाओं, कोचिंग संस्थानों में सुविधाओं की कमी और उनकी शिक्षण पद्धतियों के बारे में मिली शिकायतों के बाद गाइडलाइंस तैयार की गई है. सरकार ने अपना काम कर दिया है. अब अभिभावकों को यह समझने की जरूरत है कि कहीं कोचिंग संस्थानों के जाल में आप फंस तो नहीं रहे. पिछले साल कोटा में रिकॉर्ड संख्या में छात्रों की आत्महत्या के मामले सामने आए. ऐसा फिर न हो,

दरअसल केंद्र सरकार ने गुरुवार को बड़ा फैसला लेते हुए कोचिंग सेंटरों पर नकेल कसी है। सरकार ने निजी शिक्षण संस्थानों के लिए नई गाइडलाइन्स जारी करते हुए आदेश दिया है कि 16 साल से कम उम्र वाले विद्यार्थी कोचिंग नहीं जा सकते। इस फैसले को लेकर शिक्षाविद खुशी जाहिर कर रहे हैं।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव का कहना है कि यह विचारणीय प्रश्न है कि सरकार को ऐसे कदम क्यों उठाने पड़े। कोचिंग संस्थानों के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। बच्चे दबाव में आत्महत्या कर रहे हैं, एक अनावश्यक प्रतियोगी माहौल तैयार हो रहा है। बच्चों में मानसिक दिक्कतें आ रही हैं। सरकार द्वारा की गई यह सकारात्मक पहल है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए।

डीयू के छात्र कल्याण विभाग के अधिकारी प्रो. जीएस टुटेजा का कहना है कि सरकार द्वारा लिया गया यह एक सराहनीय कदम है। यह और पहले किया जाना चाहिए था। कोचिंग संस्थानों ने छात्रों को स्टूडेंट्स बॉट्स बना दिया है। रटने, परीक्षा देने के बीच इनमें अनावश्यक प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही थी जो अब रुकेगी। सरकार को कोचिंग संस्थानों को लेकर नियम बनाने चाहिए। विकसित देशों में कोचिंग सेंटर नहीं हैं। वहीं, एक अभिभावक का कहना है कि स्कूलों की पढ़ाई यदि पर्याप्त हो तो कोचिंग की जरूरत नहीं है। सरकार को स्कूल स्तर पर ही यह सुविधा शुरू करनी चाहिए। कक्षा में एक समान बच्चे नहीं होते हैं और उनको कोचिंग की जरूरत होती है इसलिए सभी हितधारकों को ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाना चाहिए।

धरातल पर क्रियान्वयन जरूरी: एबीवीपी

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा कोचिंग केन्द्रों के नियमन के लिए जारी किए गए व्यापक दिशा-निर्देशों के धरातल पर क्रियान्वयन के लिए उचित कदम उठाने का आह्वान किया है। एबीवीपी के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि मंत्रालय द्वारा जारी किए दिशा-निर्देश स्वागत योग्य और महत्वपूर्ण हैं। देश के प्रत्येक कोने में बिना नियम-कानून के चल रहे कई कोचिंग केन्द्र छात्रों-अभिभावकों और समाज के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं, ऐसे में प्रभावी दिशा-निर्देश होने से कोचिंग केन्द्रों से जुड़ी समस्याओं के समाधान की दिशा साफ हो सकेगी।

स्टूडेंट्स का एडमिशन 10वीं की परीक्षा के बाद ही होना चाहिए.
कोई भी कोचिंग इंस्टिट्यूट ग्रेजुएशन से कम योग्यता वाले टीचरों को नियुक्त नहीं करेगा.
स्टूडेंट्स का एडमिशन कराने के लिए कोचिंग संस्थान माता-पिता को किसी भी तरह के भ्रामक वादे, अच्छी रैंक या अच्छे अंक की गारंटी नहीं दे सकते हैं.
अब 16 साल से कम उम्र के छात्रों का कोचिंग संस्थान एडमिशन नहीं कर सकते.
गुणवत्ता, सुविधाओं या संस्थान में पढ़े स्टूडेंट्स के रिजल्ट को लेकर कोचिंग संस्थान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी दावे को लेकर भ्रामक विज्ञापन नहीं दे सकते हैं.
कोचिंग संस्थान किसी भी टीचर या ऐसे व्यक्ति की सेवाएं नहीं ले सकते, जो नैतिक कदाचार से जुड़े अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो.
कोई भी संस्थान तब तक रजिस्टर नहीं होगा जब तक उसके पास इन दिशानिर्देशों की आवश्यकता के अनुसार परामर्श प्रणाली न हो.
कोचिंग संस्थानों की वेबसाइट होगी जिसमें पढ़ाने वाले ट्यूटर्स की योग्यता, पाठ्यक्रम, पूरा होने की अवधि, छात्रावास सुविधाएं और शुल्क को लेकर अपडेट जानकारी होगी.
स्टूडेंट्स पर कड़ी प्रतिस्पर्धा और शैक्षणिक दबाव के कारण कोचिंग संस्थानों को उन्हें तनाव से बचाने के लिए कदम उठाने चाहिए और अनावश्यक दबाव नहीं डालना चाहिए.
कोचिंग संस्थानों को संकट और तनावपूर्ण स्थितियों में छात्रों को सहायता करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप वाली व्यवस्था बनानी चाहिए.
विभिन्न पाठ्यक्रमों का शुल्क पारदर्शी और तार्किक होना चाहिए और वसूले जाने वाले शुल्क की रसीद दी जानी चाहिए.
छात्र बीच में पाठ्यक्रम छोड़ता है तो उसकी बची अवधि की फीस लौटाई जानी चाहिए.
केंद्र सरकार ने सुझाव दिया है कि कोचिंग संस्थनों पर दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाना चाहिए या ज्यादा फीस लेने पर पंजीकरण रद्द कर दिया जाना चाहिए.
सरकार ने दिशानिर्देश के प्रभावी होने के 3 महीने के भीतर नए और मौजूदा कोचिंग संस्थानों का पंजीकरण करने का प्रस्ताव किया है.
राज्य सरकार कोचिंग संस्थान की गतिविधियों की निगरानी के लिए जिम्मेदार होंगे

StarNewsHindi

All news article is reviewed and posted by our Star News Television Team. If any discrepancy found in any article, you may contact [email protected] or you may visit contact us page

Related Articles

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Back to top button