देश को मिला पहला स्वदेशी आईक्यू मूल्यांकन परीक्षण किट/ अब नहीं हो सकेगी नकल, यूडीआईडी में आधार को किया गया जरूरी
समाजिक न्याय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने दो वर्षीय बालिका को दिया 1 करोड़वां विशिष्ट दिव्यांगता पहचान पत्र/
सुषमा रानी
नई दिल्ली।समावेशिता और सशक्तिकरण की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम बढ़ाते हुए आज दिल्ली के डॉ भीमराव अंबेडकर इंटरनेशल सेंटर में समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने दो वर्षीय बालिका सुश्री वंशिका नंद किशोर माने को 1 करोड़वां विशिष्ट दिव्यांगता पहचान पत्र (यूडीआईडी ) व 7 अन्य दिव्यांगजनों को यह कार्ड प्रदान किया। इस अवसर पर माननीय मंत्री जी ने स्वदेशी आईक्यू मूल्यांकन परीक्षण किट भी राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर केंद्रीय समाजिक न्याय एवं सहकारिता राज्य मंत्री सुश्री प्रतिमा भौमिक भी मौजूद रहीं।
2017 में भारत सरकार द्वारा देश के प्रत्येक दिव्यांग व्यक्ति को विशिष्ट पहचान प्रदान करने और दिव्यांगजनों के लिए की जारी रही कल्याणकारी योजना के व्यापक डाटाबेस बनाने के उद्देश्य से यह विशिष्ट दिव्यांगता पहचान पत्र (यूडीआईडी ) परियोजना की शुरुआत की।
इस विशेष अवसर पर माननीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने देश के लिए मूल्यवान संसाधन के रूप में दिव्यांगजनों के महत्व को लेकर संबोधित किया साथ ही उन्होंने एक समावेशी समाज और दिव्यांगजनों के समग्र विकास के लिए सरकार के दृष्टिकोण को भी साझा किया। माननीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने देश में पहली बार आईक्यू टेस्ट के भारतीय संस्कण के विकास पर गर्व भी व्यक्त किया। माननीय मंत्री जी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के एक दिव्यांग-एक पहचान, सबका साथ, सबका विश्वास के दृष्टिकोण के बारे में भी अवगत कराया।
इस अवसर पर माननीय राज्य मंत्री सुश्री प्रतिभा भौमिक ने अपने संबोधन में जोर देते हुए कहा कि सरकार द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी और उपकरणों से सुदूर उत्तर- पूर्वी क्षेत्र के साथ ही अन्य देशों को भी लाभ होना चाहिए। माननीय राज्य मंत्री जी ने भारतीय परीक्षण उपकरणों का उपयोग करने वाले दिव्यांगजनों को यूडीआईडी कार्ड जारी करने पर भी अपार संतोष व्यक्त किया। माननीय राज्य मंत्री सुश्री प्रतिमा भौमिक ने बताया कि विभाग ने कौशल प्रशिक्षण, छात्रवृत्ति आवेदन सत्यापन, राष्ट्रीय ट्रस्ट बीमा योजना (निरामया), डीडीआरएस लाभार्थी, मुफ्त क्लीनिकल सेवाएं और आरसीआई विनियमित संस्थानों, एनआई और सीआरसी में शिक्षा जैसी विभिन्न योजनाओं को यूडीआईडी कार्ड से जोड़ा है।
माननीय राज्य मंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा पहले आईक्यू मूल्यांकन के लिए केवल विदेशी परीक्षणों का उपयोग किया जाता था जिन्हें भारतीय आवश्यकताओं के अनुसार परिवर्तित किया जाता था। लेकिन यह पहली बार है कि जब भारत के पास स्वयं का सत्यापित आईक्यू मूल्यांकन उपकरण होगा। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि इससे बौद्धिक विकलांगता के क्षेत्र में नए शोध का मार्ग प्रशस्त होगा और साथ ही भारतीय नागरिकों को न्यूनतम लागत पर उपकरण प्राप्त करने में मदद भी मिलेगी।
डीईपीडब्ल्यूडी सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि विभाग दिव्यांगजनों के माता-पिता और भाई-बहनों के लिए भी कुछ पाठ्यक्रम विकसित करना चाहता है। क्योंकि वे दिव्यांग बच्चों के कल्याण में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। उन्होंने बताया कि यूडीआईडी कार्ड पर मिशन मोड में काम चल रहा है और हर दिन करीबन डेढ़ लाख कार्ड बनाये जा रहे हैं। सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि आवेदन पत्र भरने की प्रक्रिया को सरलीकृत करने और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने के लिए यूडीआईडी कार्ड में कई प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया। यूडीआईडी कार्ड की डुप्लीकेसी रोकने और कार्ड बनाने की दर को और बढ़ाने के लिए आधार को भी अनिवार्य कर दिया गया है।