फिरकापरस्ती लामबन्दी ने कांग्रेस को हराया
गहलोत ने यह मान लिया कि राजस्थान में फिरकापरस्ती लामबन्दी बनी हार का कारण l
मैने यह उस समय बता दिया था कि फिरकापरस्ती शिखर पर होगी जब बाबाओं की फौज को चुनाव में संघ ने धकेल दिया , खास तौर पर तिजारा विधान सभा (अलवर ) में भाजपा उमीदवार ने परचा दाखिल करने से पहले मसजिद और गुरदवारा को नासूर बता दिया , उसके बारे में सवाल सिखों में उठ गया तो माफी मांगी भी तो इस प्रकार वह मदरसा कहना चाहता था परंतु जबान फिसलने से गुरदवारा निकल गया , यही काफी था कांग्रेस को समझने का l
मैने उस समय कहा था कि कांग्रेस को किसी सिख उमीदवार को नामजद कर इस फिरकापरस्ती लामबन्दी के हालात से राजस्थान को बचाया जा सकता , मैने इस बात का ज़िकर गाँधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री कुमार प्रशांत से भी की , मेरा मानना हैं कि सिख ही हैं जो हिंदू और मुस्लिम के बीच कड़ी का काम करता हैं , शायद कांग्रेस इसको समझ ही न सकी l सिख राजस्थान में 25 सीट पर प्रभाव रखता हैं यदि मुस्लिम और सिख एक साथ आ जायें तो हिन्दू जो संघी नही उसका 10-12 फीसद वोट भी उनके साथ आ जाता हैं, यही रेसपी रही कांग्रेस की ज़िसको कांग्रेस ने पहले ब्लू स्टार ऑपरेशन के कारण सिखों को संघ की झोली में डाल दिया जबकि अद्वानी की my country my life से साफ हो जाता हैं कि उसका करा धरा संघ का ही था फिर बाबरी मसजिद भी कांग्रेस की सत्ता के समय जबकि उसका कारण भी संघ ही था यह न तो कांग्रेस जनता के बीच बता सकी और बल्कि कांग्रेस पर कब्जा बनाये संघ ने उस पर भी स्वम की ही पीठ थप थपा दी l
यह तो मन मोहन सिंघ सरकार ने जैसे ही एक तरफ सच्चर कमेटी से मुस्लिम के तुष्टिकरण की पोल खोल दी उधर सिखों से संसद पटल पर माफी मांग ली नतीजा 2004 में 145 के आंकडे से 2009 का चुनाव तो उन्ही के चेहरे पर संख्या बल 206 हो गया , अफसोस यह बात जब मैने वेईं नदी पंजाब से गंगा नदी बनारस तक की हक ए अमन यात्रा की और त्तकालीन सरकार को अवगत भी 6.5.2011 पत्र द्वारा करवाया कि अन्ना आंदोलन पूरी तरह संघ प्रायोजित हैं और सिख , मुस्लिम और हिन्दू के हालात को प्रस्तुत किया हालांकि उस की प्रशंशा तो की परंतु कांग्रेस में संघी मानसिकता का प्रभाव की भी अति हैं उसने वही किया दे राहुल को मन्दिर मन्दिर घुमाने लगे उनको शिव भक्त पेश करने और जनेऊ धारी ब्राहमन प्रस्तुत करने में लग गये नतीजा जो कांग्रेस का कोर वोट सिख और मुस्लिम था वही बिदक गया नतीजा 2014 उसका ही आयिना ही तो था l
कांग्रेस की समस्या यह भी हैं जब कनहिया का मुद्धा राजस्थान में दिन प्रति दिन उठाया जाने लगे तो कांग्रेस हिन्दू वोट के डर से पहलुखां और अनेकों अल्प संख्यक सिख और मुस्लिम क्टहरे में खड़े किये जा रहे उस मुद्दे को उठा ही नही सके , यह ठीक हैं कांग्रेस फिरकापरस्ती की लामबन्द को अच्छा नही समझती परंतु जब पूरा देश ही उसकी जदद में हो 80:20 का कार्ड खेला जा रहा हो वहां देश हिन्दू मुस्लिम और सिख में बांट दिया गया हो उस समय यदि सिख को आगे बढ़ा दिया जाता तो इस हालात से बचा जा सके l मेरा मानना हैं कि इस हालात में सिख ही हैं जो हिन्दू और मुस्लिम के बीच कड़ी हैं , इसको शायद कांग्रेस समझ ही नही पा रही हैं l
लोक सभा चुनाव के समय भी इसी चिन्तन को समझना होगा l
दया सिंघ