नई दिल्ली, 06 अगस्त (सुषमा रानी)
दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को समय से वेतन नहीं दिए जाने को लेकर आम आदमी पार्टी ने भाजपा की केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। “आप” के वरिष्ठ नेता और विधायक संजीव झा ने कहा कि केंद्र सरकार को शिक्षा से कोई लेना देना नहीं है। इसी वजह से केंद्र ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को अस्त-व्यस्त कर रखा है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले प्रोफेसर को समय से वेतन और पेंशनरों को पेंशन नहीं मिल रहा है। भाजपा की केंद्र सरकार की राष्ट्र निर्माण की बात सिर्फ हवा-हवाई है। राष्ट्र निर्माण तो तभी होगा, जब शिक्षक बिना टेंशन बच्चों को पढ़ाएगा। वहीं आम आदमी दिल्ली टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष आदित्य नरायण मिश्र ने कहा कि केंद्र सरकार ने डेवलपमेंट और मेंटेनेंस ग्रांट देना बंद कर दिया है। इसलिए देश के सभी केंद्रीय शिक्षण संस्थानों की हालत नाजुक है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरी में नई किताबों और लैबोरेट्रीज में इक्विपमेंट के लिए पैसे नहीं है। केंद्र सरकार से अपील है कि सभी समस्य़ाओं का जल्द समाधान निकालें, वरना मजबूरन हम लोग राष्ट्रव्यापी एक्शन प्रोग्राम करेंगे।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक संजीव झा, आम आदमी दिल्ली टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष आदित्य नारायण मिश्रा और ईसी के मेंबर राजपाल ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान संजीव झा ने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को अस्त-व्यस्त कर दिया है। केंद्र सरकार को शिक्षा से कोई लेना देना नहीं है। वह शिक्षा का स्तर गिरा कर केवल अपना कार्यकर्ता बनाने में जुटी हुई है। इस वजह से देश में अच्छे शिक्षाण संस्थान में गिने जाने कितने वाली दिल्ली यूनिवर्सिटी और वहां के प्रोफ़ेसर को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षा का बजट एलोकेशन 2.5 परसेंट हो गया है, जबकि केंद्र में भाजपा की सरकार आने से पहले 4.5 प्रतिशत था। इसका परिणाम यह है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले प्रोफेसर को वेतन समय से नहीं मिल रहा है और पेंशनर को पेंशन टाइम से नहीं मिल रहा है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में रेगुलर टीचर और पेंशनर, एड-हॉक , गेस्ट टीचर का अलग-अलग हेड बना दिया गया है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के 80 प्रतिशत पेंशनर, एडहॉक और गेस्ट टीचरों को टाइम से सैलरी नहीं आ रही है। इस समस्या को लेकर आम आदमी दिल्ली टीचर एसोसिएशन लगातार अलग-अलग फोरम पर आवाज उठाती रही हैं, लेकिन इसका कोई समाधान नहीं निकल पा रहा है।
आम आदमी दिल्ली टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि देश में सभी केंद्रीय शिक्षण संस्थानों का हालत नाजुक है। केंद्र में जब से भाजपा की सरकार बनी है डेवलपमेंट और मेंटेनेंस ग्रांट देना बंद कर दिया। दिल्ली यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरी में नई किताबों के लिए पैसा नहीं है। लैबोरेट्रीज में ग्रांट्स नहीं है, जिससे बच्चों का प्रैक्टिकल करना मुश्किल है। वहां जो लोग रिसर्च कर रहे हैं, वह अपने जेब से पैसा खर्च करके इक्विपमेंट ठीक करवाते हैं। कॉलेज का मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार ने कह दिया कि स्टूडेंट से मिलने वाले फीस से मेंटेनेंस करिए, लेकिन दिल्ली यूनिवर्सिटी जब से बनी हुई है तब से छात्रों का पैसा उपयोग में नहीं है और अब जब उपयोग हो रहा है तो वह भी जल्द खत्म होने वाला है। इस वजह से अब सीधा बोझ छात्रों पर पड़ रहा है, तो उनकी फीस भी बढ़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का मूलभूत आधार है। वह भाजपा सरकार के नीति में कहीं भी परिलक्षित नहीं हो रहा है। अच्छे शिक्षण संस्थानों में इनरोलमेंट का अनुपात घटता जा रहा है। जब से ऐसी हालत चल रही थी, तब हमने लगातार पत्र लिखें। हमें यह पता था कि ऐसी हालात में सैलरी का संकट खड़ा होगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनने से पहले बजट का 4.7 प्रतिशत शिक्षा पर होता था, उसमें भी हम लोग डिमांड करते थे । भाजपा की केंद्र सरकार यह कह रही है शिक्षण संस्थानों से कि वह अपनी संसाधन खुद जुटाए दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति ने सभी कालेजों को पत्र लिखकर कहा कि अपनी संसाधन खुद जुटाए। लेकिन कॉलेज अपनी संसाधन कहां से जुट आएंगे एलुमनाई फंड से कितना पैसा इकट्ठा हो जाएगा कि सारे टीचर की सैलरी चल जाएगी। शिक्षकों को आज दो हेड में बांट दिया गया है। पेंशनर्स को पेंशन मिलने से उनका परिवार चलेगा। इस उम्र में उनका मेडिकल खर्च भी है। उनका घर का मेंटेनेंस भी है। वह पेंशनर्सों जो किसी के सामने हाथ नहीं पसारे, आज वहीं लोगों के सामने हाथ पसारने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा डिमांड यह है कि केंद्र सरकार न्यू पेंशन स्कीम को खत्म करके सभी को ओल्ड पेंशन स्कीम में लाएं। केंद्र सरकार ने पहले से पेंशन में मौजूद लोगों को भी पेंशन देना बंद कर दी हैं। कई महीनों से उनको पेंशन और शिक्षकों को वेतन नहीं मिल रही है। वह सारे लोग बैंक से डिफॉल्टर हो रहे हैं, क्योंकि वे लोन चुकता नहीं कर पा रहे हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी में 80 परसेंट रिप्लेसमेंट हो गया। इसके साथ ही यह सैलरी का क्राइसिस विकट रूप लेता जा रहा है। इससे पहले बिहार और अन्य जगहों पर शिक्षकों की सैलरी में देरी होती थी तो हम लोग इंटरफेयर करते थे लेकिन आज हमारे लिए कौन हस्तक्षेप करेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से अपील है कि इसका जल्द ही कोई समाधान निकालें। अगर कोई उसका समाधान नहीं निकलता है, तो मजबूरन हम लोग एक्शन प्लान करेंगे। वह राष्ट्रव्यापी एक्शन प्रोग्राम होगा।
फाइनेंस कमेटी के मेंबर जीएल गुप्ता ने कहा कि ये सब समस्याएं इसलिए है, क्योंकि भाजपा सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा नहीं आती है। यही वजह है कि आज दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सभी कॉलेजों को पत्र लिखकर कहते हैं कि अपना संसाधन खुद जुटाओ। दिल्ली यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरी में बाबा आदम जमाने के कंप्यूटर पड़े हुए हैं। वहां की हालत बहुत ही खराब है।