
जानवरों की संवेदना व्यक्त करने वाली फिल्मों के लिए सिनेकाइंड अवॉर्ड की घोषणा
नई दिल्ली । दिल्ली के द पार्क होटल में फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया और पीपल फॉर एनिमल्स के तत्वाधान में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में एफएफआई के अध्यक्ष फिरदौसुल हसन और पीएफए की अध्यक्षा मेनका संजय गांधी ने कोलकाता में 20 दिसंबर 2025 को आयोजित होने वाले सिने काइंड अवॉर्ड के बारे में पत्रकारों को संबोधित किया।
इस प्रतिष्ठित अवॉर्ड के लिए ऐसे 10 फिल्मकारों और अन्य पेशेवरों को चुना जाएगा जिन्होंने जानवरों की संवेदनाओं को समझते हुए उनके हितों के लिए वर्षों कार्य किया है। पत्रकारों से बात करते हुए मेनका गांधी ने बताया कि 20 दिसंबर को कोलकाता में सिने काइंड अवॉर्ड करने के बाद इसे 4 अक्टूबर को वर्ल्ड एनिमल डे के अवसर पर सालाना किया जाएगा। उन्होंने कहा कि “यह मेरा 20 वर्ष पुराना सपना था जो अब जाकर फलीभूत हुआ है”।
मेनका गांधी ने आगे कहा कि “हम ऐसे संसार का निर्माण नहीं कर पाए जिसमें मनुष्यों के साथ-साथ जानवरों के हकों को समझा जाए”। विशेष तौर पर कुत्तों की बढ़ती आबादी पर प्रश्न पूछने के दौरान मेनका गांधी ने कहा कि “उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर खदेड़ना कोई हल नहीं है, उनका हल एबीसी यानी कुत्तों की नसबंदी है”। सिने काइंड अवॉर्ड के बारे में उन्होंने कहा कि इससे सिनेमा के द्वारा लोगों में प्रेम और दयालुता का भाव पैदा किया जा सकता है।
एफएफआई के अध्यक्ष फिरदौसुल हसन ने कहा कि “सिने काइंड अवॉर्ड के कॉन्सेप्ट को लेकर संस्था के सभी पदाधिकारी काफी उत्साही हैं। अब सिनेमा में जानवरों के इस्तेमाल के लिए विधिवत परमिशन ली जाती है और उनकी प्रोपर देखरेख में शूटिंग की जाती है, और एफएफआई इस बात का विशेष ध्यान भी रखता है”।
इस मौके पर मारवाह स्टूडियोज के द्वारा सिने काइंड अवॉर्ड के विषय पर एक 4.30 मिनट की फिल्म भी बनाई गई, जिसमें विस्तार से सिने काइंड अवॉर्ड से जुड़ी सोच को प्रदर्शित किया गया। मारवाह स्टूडियोज के अध्यक्ष और एएएफटी यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. संदीप मारवाह ने कहा कि “यह मेनका का 20 वर्षों का सपना था जिसे हमने एफएफआई के सभी सदस्यों से बात करके और उन्हें जोड़कर पूरा किया”।
इसके अलावा, उन्होंने इस बात की जानकारी भी उपस्थित प्रेस को दी की “एशियन अकादमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान ने पहल करते हुए छात्रों को जानवरों के साथ प्रेम और दया की भावना को प्रेरित करने वाली शॉर्ट फिल्म बनाने के लिए प्रोत्साहित भी किया है”।
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