नई दिल्ली । उत्तरी जिला पुलिस ने शहीद दिवस पर स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए “नो टू डू ड्रग्स” अभियान चलाया। नशीली दवाओं की लत के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और छात्रों को नशीली दवाओं के सेवन से दूर रहने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तरी जिले के सभी पुलिस थानों और पुलिस चौकियों में कई नशा विरोधी अभियान कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
सदर बाजार में नशा विरोधी रैली
उत्तरी जिले के डीसीपी सागर सिंह कलसी के नेतृत्व में सदर बाजार में नशा विरोधी रैली निकाली गई। रैली का नेतृत्व डीसीपी-द्वितीय उत्तरी जिला ने किया। रैली में स्कूली बच्चे, नागरिक सुरक्षा समिति के सदस्य,आरडब्ल्यूए और एमडब्ल्यूए के सदस्यों ने रैली में भाग लिया। प्रतिभागियों ने ड्रग्स के प्रतिकूल प्रभावों को दर्शाने वाले बैनर पकड़े हुए थे। और “जीवन को हां और ड्रग्स को ना कहें” के नारे लगा रहे थे। लाल किले में नशा विरोधी जागरूकता पैदा करने के लिए ‘नुक्कड़ नाटक’ के कई कार्यक्रम आयोजित किए गए।
संदिग्ध ड्रग तस्कर के घरों की तलाशी
पुलिस पोस्ट मजनू का टीला द्वारा अपने क्षेत्र में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए एक जागरूकता मार्च आयोजित किया गया। जिसमें छात्रों, मार्केट एसोसिएशन और आरडब्ल्यूए के सदस्यों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया था। इलाके में वर्चस्व कायम करने के उपाय के तौर पर संदिग्ध ड्रग तस्कर के घरों की तलाशी भी ली गई।
“जीवन को हां और नशे को ना” रैली
नशा के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए अंधा मुगल और प्रताप नगर क्षेत्र में “जीवन को हां और नशे को ना” रैली भी निकाली गई। इस रैली में छात्र पुलिस कैडेट और आरडब्ल्यूए और एमडब्ल्यूए के सदस्यों ने भाग लिया।
वहीं नशा मुक्त भारत कार्यक्रम का आयोजन भगत कॉलोनी बुराड़ी में किया गया। कार्यक्रम में आरडब्ल्यूए के सहयोग से स्कूली बच्चों और परिवारों ने भाग लिया। एक सिग्नेचर वॉल बनाई गई जहां बच्चों और परिवारों ने हस्ताक्षर किए और खुद को नशे से दूर रखने का संकल्प लिया। मिशन किवानिस चिल्ड्रन फंड और सब्र फाउंडेशन के विशेषज्ञों द्वारा एक संवेदीकरण व्याख्यान भी दिया गया। फाउंडेशन ने स्नेह के भाव के रूप में बच्चों को उपहार बांटे।
इसके अलावा आरडब्ल्यूए आनंद नगर इंद्रलोक के सहयोग से पीपी इंद्रलोक, थाना सराय रोहिल्ला के कर्मचारियों द्वारा रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया। पीपी इंद्रलोक के कर्मचारियों और स्थानीय निवासियों ने शिविर में सक्रिय रूप से भाग लिया।
सभी प्रतिभागियों को “नशीले पदार्थों को ना कहने” की शपथ दिलाई गई। इन रैलियों ने लोगों को नशे की बुराई के प्रति जागरूक होने का संदेश दिया।