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भूजल स्तर और गुणवत्ता में सुधार को मुख्य सामायिक जरूरत:अध्यक्ष न.पा.परिषद, फतेहपुर सिकरी आगरा

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हेरिटेज तेरह मोरी बांध के गेटिड स्ट्रक्चर को फंक्शनल करवाया जाये

भूजल स्तर और गुणवत्ता में सुधार को मुख्य सामायिक जरूरत:अध्यक्ष न.पा.परिषद

फतेहपुर सीकरी की जल किल्लत को दूर करने से भले ही कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं हो किंतु इसके बावजूद तेरह मोरी बांध में पुन:पुरानी परंपरा के अनुसार जल संचय शुरू किया जाना फतेहपुर सीकरी नगर वासियों,ग्रामीणों और क्षेत्रीय पर्यावरण की अनुकूलता वाली महत्वपूर्ण जरूरत है।यह कहना है फतेहपुर सीकरी नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष श्रीमती शबनम का,जो कि अपने पति एवं नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष मौ. इस्लाम के साथ सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के प्रतिनिधि मंडल के साथ अपने कैंप आफिस पर चर्चा कर रही थीं।

श्रीमती शबनम ने कहा कि तेरह मोरी बांध में मानसून कालीन वर्षा का पानी जब तक संग्रहित होता रहा तब तक यहां का भूगर्भ जलस्तर थमा रहा,पानी की गुणवत्ता मौजूदा स्थिति से कहीं बेहतर रही। उन्होंने कहा कि तेरहमोरी बांध विश्वदाय स्मारक फतेहपुर सीकरी का अंतरिम भाग है और संरक्षित पुरा संपदा के रूप में संरक्षित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए एस आई ) की सूची में दर्ज है।उन्हों ने कहा कि यह सही है कि पूर्व में राजस्थान ((भरतपुर जनपद) का पानी अजान बांध की राजा बृजेन्द्र सिंह मोरी होकर तेरह मोरी के लिये डिस्चार्ज किया जाता था, किंतु इसके बावजूद अजान बांध के डाउन से भरपूर पानी आता है,यही नहीं फतेहपुर सीकरी की पहाड़ियों के क्षेत्र का अपना जलसंभर (Watershed) उपरोक्त के अतिरिक्त पतसाल पुलिया से होकर गुजरने वाले चैनल से होकर अब भी मानसून काल में भरपूर पानी आता है।

श्रीमती शबनम ने कहा कि अगर तेरह मोरी बांध में मानसून कालीन पानी संचित करना शुरू किया जा सका तो क्षेत्र के भूजल की गुणवत्ता और गिरते जा रहे जलस्तर की स्थिति में स्वत: ही सुधार आना शुरू हो जायेगा। उन्होंने बताया कि तेरह मोरी का डिस्चार्ज से ही खारी नदी का वास्तविक उद्गम है, बांध के पानी का डिस्चार्ज रेग्युलेट करते ही भूजल तंत्र ( जलभृत- aquifer) में व्यापक सुधार आ जाएगा ।

चर्चा में शामिल नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्री मोहम्मद इस्लाम ने कहा कि तेरह मोरी बांध की जलसंचय प्रणाली इस लिये और बहाल करना जरूरी है,क्यों कि पेयजल आपूर्ति की स्थिति में सुधार के लिये छेत्र से संबंधित जन प्रतिनिधियों के द्वारा गंगाजल और चम्बल नदी के पानी को पाइप लाइन से लाने के प्रयासों के परिणाम आने में अभी वक्त लग सकता है।वेसे भी तेरह मोरी बांध पानी के अलावा पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

ट्यूब वैल के फिल्टर पानी की आपूर्ति

फिलहाल नगर क्षेत्र में ट्यूब वेल आधारित जलापूर्ति की व्यवस्था है।भूगर्भ से प्राप्त पानी को फिल्टर कर सप्लाई कर दिया जाता है।शहर के नागरिक पानी का इस्तेमाल करने के मामले में मितव्ययी हैं।नगर पालिका परिषद के अधिकार सीमा को भली भांति समझते हैं।नगरिय क्षेत्र की जलापूर्ति के लिये 11 ट्यूब वैल लगाये हुए है,जिनसे दोहित पानी फिल्टर कर नगर पालिका परिषद के जलकल विभाग के द्वारा चार ओवर हेड टैंको के माध्यम से नगर क्षेत्र मोहल्लों को सप्लाई किया जाता है।पहाडी क्षेत्र की बस्तियों तक पानी पहुंचाना अधिक चुनौती भरा है। पूर्व पालिका परिषद अध्यक्ष बताते हैं कि जलकल विभाग के सभी ट्यूब वैल नगर सीमा से बाहर नहर के नजदीकी क्षेत्र में स्थापित है।नहरी क्षेत्र निकट होने से ट्यूब वैलों से दोहित पानी अपेक्षाकृत सुधरी गुणवत्ता का होता है।वह बताते हैं कि अब हैंडपंप काम नहीं करते ।सबमर्सेविल पंपों का प्रचलन है, किंतु आम नगरवासी तो नगर पालिका परिषद के जलकल की सप्लाई पर ही निर्भर है।

बोतल बन्द पानी की खपत

एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि फतेहपुर सीकरी में विदेशी पर्यटकों के आने जाने का क्रम साल भर बना रहता है।फलस्वरूप आगरा की तरह ही यहां भी बोतल बन्द पानी की खपत होती है,जो नागरिक सक्षम होते है,उनमें से भी अनेक बोतल बन्द पानी का इस्तेमाल करते हैं।

धन की मांग

श्री मोहम्मद इस्लाम वह बताते हैं कि फतेहपुर सीकरी आगरा जनपद का नगर निगम के बाद दूसरा सबसे बड़ा नगर निकाय है, दशकों

से सीमा विस्तार नहीं हुआ।फलस्वरूप आये के साधन सीमित हैं,आगरा विकास प्राधिकरण और ताज ट्रिपेजियम जोन अथॉरिटी की यहां के विकास में नीतिगत भागीदारी है,अगर आर्थिक योगदान भी मिलना संभव हो जाये तो परिषद अपने स्तर से भी अवस्थापना संबधी जरूरी काम करवाने में सक्षम हो सकेगी। उन्होंने इसके लिए उन्होंने एन एच हाईवे नंबर 21 के फतेहपुर सीकरी टोल से वसूले जाने वाले शुल्क और आगरा विकास प्राधिकरण के द्वारा प्रभावी किये हुई पथकर निधि में से पालिका परिषद के लिये निश्चित प्रतिशत निर्धारित करने का आग्रह किया।

सीवरी करण की जरूरत

फतेहपुर सीकरी में सीवर नहीं है,केन्द्र सरकार के कई दिल यहां सीवर लाइन डालने के लिये अध्ययन करने आये भी किंतु पत्थरीली जमीन और संकरी गलियों की बात कह कर चले गये।जिस समय यह यह सर्वे हुआ था,उस समय तक उ प्र में ट्रेंचलेस टेक्नोलॉजी (Trenchless technology ) का उपयोग शुरू नहीं हुआ था। रॉक बेकर ( rock breaker) तो अब भी जल निगम जनपद के प्रोजेक्टों में कम ही उपयोग करता है,हालांकि ड्रिल मशीनों(drill machine ) का प्रचलन अब सामान्य हो गया है।मो. इस्लाम कहते हैं कि अगर प्रयास किये जायें तो ट्रंक सीवर लाइन डालने का कार्य तो जल निगम से करवाया ही जा सकता है।एक बार सीवर लाइन डल गयी तो सड़क किनारे के मोहल्लों और सीमित संकरी गलियों में भी ब्रांच सीवर लाइन डालने के बारे में योजना बनाई जा सकेगी।

सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा के प्रतिनिधि मंडल में- अनिल शर्मा , राजीव सक्सेना और असलम सलीमी शामिल

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