राहुल की मेहनत कहीं सिफर न हो जाये ?
किसी को उमीद नही थी कि राहुल जो silver spoon के साथ पला और बड़ा हुआ हो वह इतनी लम्बी पद यात्रा और अब लोगों के बीच बस यात्रा कर पायेगा वह आमजन के सवालों को लेकर परंतु राहुल ने अपनी कर्मठता को साबित ही नही बल्कि भारत जोड़ो यात्रा ने जो भाजपा को जख्म दिये वे उनपर मरहम पट्टी करना भी मुश्किल , यह भी साफ हो गया कि गत राजस्थान, मध्यप्रदेश और छतीस गढ़ के चुनाव कांग्रेस कतयी न हारती यदि क्षेत्रिय छत्रप इसे समझ पाते, कद इतने बड़े कि वे बिना परवाह किये स्वंभू हो गये नतीजे सामने हैं, मैने राजस्थान के बारे में लिखा था तिजारा से साध के खिलाफ मुसलमान की बजाये सिख उमीदवार उतारा जाये ताकि हिन्दू vs मुस्लिम से बचा जा सकता था, कांग्रेस के खुद के परखे उमीदवार का भी यही मानना था , इसीलिये वह आगे न आया परंतु जब बसपा का टिकट लिए घूम रहे को खड़ा करने का नतीजा सिखों को भाजपा की झोली में डाल दिया जबकि सिख कांग्रेस की तरफ लालायित था दूसरी तरफ मुस्लिम बनाम हिन्दू कर दिया , यदि सिख को उमीदवार बनाया जाता तो पूरे प्रदेश में ही नही इसका असर मध्य प्रदेश और छतीस गढ़ में भी जाता और सिख कांग्रेस के पाले में आता , यह बात अशोक गहलोत ने अंत में मानी की चुनाव फिरका परस्ती की भेंट चढ़ गया l
अब ज़रा मध्य प्रदेश को ही लें मैं खुद किसी किताब के विमोचन के लिए भोपाल गया था , उस विमाचन समारोह में दिगविज्य भी आये हुए थे, मैने अपनी बात को चुनाव संदर्भ में कहा , उससे एक दिन पहले पंजाब प्रदेश अध्यक्ष की टिप्पनी से सिख नाराज हो गये, उस रात को मैँ वही ठहरा हुआ था मेरी कांग्रेस जनों और पत्रकारों से खुली चर्चा हुई , जब मैं वापिस दिल्ली की ओर आ रहा था कि सिखों की नाराजगी को दूर करने के लिए जो blue star operation और उसके उपरांत हालात बने जिसमें मेरा मत भिन्न रहा तो उसे ही किसी भांति व्यक्त किया जाये तो हालात को संभाला जा सकता हैं तो मेरा जवाब था कि अब पछताय क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत फिर भी मेरा vedio viral हुआ पंजाब से परंतु तब तक चुनाव सम्पन्न हो चुका था , यह हालात किसी और ने नही कांग्रेस की अपनी देन हैं l
मैने INDIA गठबंधन् के समय यही कहा था कि यह कांग्रेस को बरगलाने का मसौदा हैं , कांग्रेस को अपने अतीत में बने UPA गठबंधन् पर ही चलना चाहिए और बिना देरी उस पर काम शुरू करना चाहिए , मेरी आशंका सच्च निकली आज कांग्रेस उसी हालात से गुजर रही हैं , ज़ितना आपार समर्थन राहुल गाँधी को मिला उससे भाजपा दबाव में हैं इसी का कारण कि वह तिनके का सहारा भी लेने पर उतारू हैं , उसे अहसास हो चला हैं कि 200 का आंकड़ा पार करना भी उसके बूते का नही , परंतु कांग्रेस फिर से उहा पोह के हालात में फंसती जा रही हैं जो केजरीवाल को संघ ने कांग्रेस मुक्त दिल्ली और सिख मुक्त पंजाब की धारणा से आगे किया और किस प्रकार मन मोहन सिंघ सरकार को बदनाम और राहुल को पप्पू बनाने में india against corruption जो संघ का ही शगुफा था किया वही कांग्रेस नेत्रतव अपनी ही ज़ड़ों में तेल डालने का काम कर रहा हैं तो कांग्रेस को कौन सलाह दे यह समझ से परे हैं , जैसे महाराजा रणजीत सिंघ के जाते ही सरकार ए खालसा फौज नमौसी के हालात से गुजर रही थी जिसका ज़िकर शाह मुहम्मद ने ” अज होए सरकार तां मुल पाये, फौजां जित के अंत नू हारियां ने ” कांग्रेस उसी हालात से रूबरू हो रही हैं जबकि पूरी जनता कांग्रेस से ही अपेक्षा कर रही हैं ताकि देश में लोकतंत्र बचे l
मैं कांग्रेस को फिर से आवाज दे रहा हूँ कि उसका कोर वोट मुस्लिम +सिख +इसायी पक्का हो सकता हैं यदि संघ /भाजपा द्वारा फैलाये जाल में न फंसे कि उसे हिन्दू वोट नही डालेगा , जिसके पास 25 फीसद पक्का वोट हो तो क्या 15 फीसद वोट उसको नही मिलेगा यह उसे डर हैं जिसे निकाल फैंक देना चाहिए , जब सिख उसकी तरफ बढ़ता हैं तो 15, 20 फीसद वोट जो मुस्लिम के कारण आगे नही आता वही साथ आ जाता हैं, संघ की यही फिरकी हैं क्योंकि उसने ही यह फिरका परस्ती का बीज बोया हैं और हर हाल में सिखों को अपने साथ कुछ भी करके लिया हैं , यही उसकी रस्पी भी , शायद कांग्रेस को इसका अहसास ही नही , कांग्रेस को मन मोहन सिंघ सरकार के समय को सामने रख कर सोचना चाहिए जो सरकार 2004 में केवल 145 के आंकड़े से बनी थी वही 2009 में जब चुनाव मन मोहन सिंघ के नाम पर लड़ा गया तो कांग्रेस का आंकड़ा 206 था , यह कांग्रेस में बैठे संघ की थी जिसने अपनी ही सरकार को पलीता लगा दिया , शायद वे सिख को बरदास्त ही नही कर पायी l
अब यह कांग्रेस पर हैं जो आशंका से भरी हैं शायद वह राहुल गाँधी की मेहनत को ही सिफर में ही न बदल दे l
दया सिंघ