300 सीट पर उमीदवार कांग्रेस का
कांग्रेस को समझ लेना होगा 2024 का संघर्ष लोक शाही बनाम राजशाही होगा और हैं , संघ ने साफ कर दिया कि गत 9 वर्षो से उसने राजशाही को स्थापित करने का पूरा प्रयास किया हैं और अब यह चुनाव उसी का शिखर होगा l
आओ पहले संघ के राजशाही तंत्र को समझें ;
1. पूरे देश में भाजपा केवल मोदी जी के नाम पर वोट का आवाहन करती हैं वही स्टार प्रचारक ही ;
2. उसने गोलवालकर के उस विचार को अंगीकृत किया हैं ” केवल 2 – 3 शाहुकारों के पास देश की परि सम्पति सिमट जाये शेष उन्ही पर निर्भर , इसी पाठ को लागू किया हैं उसने 80 फीसद को लाभार्थी बना दिया l
3. देश की प्रशासनिक शक्तियां एक व्यक्ति में सिमट गई यह राजशाही का ही प्रतीक हैं
4. उसने सिख और मुस्लिम को अलग अलग कर दिया क्योंकि यही दो ताकते हैं जो देश को secular बनाये हैं क्योंकि इन्ही के साथ गाँधी ने वायदा किया था कि उनके हक और हकूक बराबर और बरकारार रखें जायेंगे , क्योंकि मन मोहन सिंघ सरकार ने इन दोनों को फिर से एक मंच पर ला खड़ा किया था जबकि मोदी सरकार ने जहां मुस्लिम को अलग थलग कर दिया वहीं सिखों को अपनी तरफ बढ़ाने का प्रयास करने में कोई कसर नही छोड़ी , परंतु खालसा की बुनियाद ही पंचायती राज पर खड़ी हैं , इसलिये सिख कभी भी संघ के साथ खड़ा नही हो सकता, इसलिये उसने केजरीवाल का इस्तेमाल कर पंजाब में सिख नेत्रतव विहीन कर दिया हैं l
5. सिंगोल राज दंड का लोक शाही के मन्दिर लोक सभा परिसर में स्थापित करना स्वत ही राजशाही का संकेत l नये लोक सभा के परिसर में जिस प्रकार6प्रधान मंत्री द्वारा एक विशेष धर्म के तौर पर अनुष्ठान किया गया और उसके लिए वही यजमान की भूमिका में l
6. जिस प्रकार बाबरी मसजिद बनाम राम मन्दिर का समझौतावादी फैसला हुआ और जिस प्रकार यह प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन करने का प्रयास राजशाही ही तो स्थापित करना हैं जहां देश का प्रधान मंत्री ही यजमान हो ऐसा खबरों में बताया जा रहा हैं l
अब ज़रा कांग्रेस का लोक शाही में विश्वास को समझें ;
1. देश का संविधान लोक शाही परक हैं , उसकी सारी शक्तियां एक व्यक्ति में न होकर मंत्री परिषद में समाहित हैं , उसी की शपथ भी लेनी होती हैं l कांग्रेस ने इसे निभाया हैं उसमें कुछ अपवाद हो सकते हैं l
2. यह भी ठीक हैं संविधान के धारण करते समय सिख प्रतिनिधि walk out यह कह कर गये कि यह संविधान अल्पसंख्यक खास तौर पर सिखों को इंसाफ नही दे सकेगा , वह आशंका ही नही थी सच्च साबित हुआ सिख और मुस्लिम उसी की चपेट से गुजरे और इसका कारण गाँधी की हत्या के बाद कांग्रेस में संघ की पैंठ का नतीजा और खास तौर पर जब संघ सर कार्यवाहक का आपात काल के दौरान कांग्रेस के समक्ष 20 pt . prog के लिए समर्पित होना और संजय गाँधी का संघ के कार्यकर्ताओं को कांग्रेस में शामिल कर लेना जिससे कांग्रेस का ही संघी हो जाना उसका नतीजा blue star operation जैसा कि अद्वानी का इसके लिए यह जाहिर करना कि इन्दिरा गाँधी तो उसके लिए त्ययार नही थी यह भाजपा और संघ के दबाव से किया गया , नाना जी देसमुख का सिख नर संहार का व्यक्तव्य आदि और फिर उसी नाना जी देश मुख को भारत रतन क्या बताता हैं, शायद बादल अपने स्वार्थ सिद्धि के कारण सिखों को ही संघ की गोद में बैठा दिया , उसे तब पता चला जब किसान आंदोलन की आहट पंजाब से सुनायी दी l
3. पंजाब का कांग्रेस नुमा सिख यह समझ ही नही पाया कि संघ ने ही उसे फंसा दिया और वह उसकी चाल में ऐसा फंसा कि उसी के लिए बगलें बजाने लगा अर्थात जैसे अकाली दल बौना हुआ उसी का नतीजा कांग्रेस में सिख नेत्रतव की भी बौना फ्न की हद न रही l शिकार हो गया पंजाब से बाहर बैठा सिख , पंजाब और विदेशों से उठी हर आहट उसे निर्जीव बना देती हैं अब तो संघ ने बड़े करीने से पंजाब से सिख नेत्रतव को ही केजरीवाल को आगे बढ़ा मूर्छित अवस्था में पहूँचा दिया , कांग्रेस को यह समझना होगा l
4. कांग्रेस तभी तक secular होने का दम भर सकती हैं यदि वह सिख मुस्लिम और इसायी को अपने कलावे में ले अन्यथा कांग्रेस और भाजपा में कोई अंतर नही बचेगा , यह सोचना कांग्रेस को हैं क्योंकि संघ उसे मुस्लिम तुष्टिकरण से बदनाम करेगी , यदि कांग्रेस इस भय से कि हिन्दू उसे वोट से मरहूम बना देगा यह उसकी भूल ही होगी , मन मोहन सिंघ सरकार 145 के आंकड़े से ही सत्ता में आयी थी उसकी कार गुजारी जिस कारण सिख और मुस्लिम फिर कांग्रेस की ओर बढ़े नतीजतन 209 का चुनाव जब वाम्पंथ भी बाहर हो गया तब भी 206 का आंकड़ा छू लिया , जैसे ही कांग्रेस में संघ की कारिस्तानी से राहुल को मन्दिर मन्दिर घुमाने का दौर शुरू हुआ वही सिख और मुस्लिम कांग्रेस से दूर हो गया , कांग्रेस को यह मान लेना चाहिए उसके पास 19-20 फीसद ही हिन्दू वोट हैं वह उसका पक्का हैं , उसे संघ इसी चाल में फंसाता और कांग्रेस फंस जाती हैं उसे इस भय से खुद को निकालना होगा l
5. यह जो उत्तर भारत की हिन्दी बेल्ट के दल खास तौर पर सपा और आआप हैं इनका आधार भी मुस्लिम वोट ही हैं , सपा का मुजफर नगर कांड और केजरीवाल का दिल्ली कांड मुस्लिम ने भोगा हैं , अब मुस्लिम इन पर विश्वास नही कर सकता सीधा कांग्रेस के साथ आना चाहता हैं परंतु कांग्रेस को भी यह वायदा करना होगा कि वह उसके साथ खड़ी हैं तो भाजपा का विकल्प केवल कांग्रेस ही हैं l
6. कांग्रेस को पंजाब के बारे में सोचना होगा परंतु उसे सिख लीडर शिप खड़ी करनी होगी, यह अध कचरी लीडर शिप सिखों में विश्वास पैदा नही कर सकेगी l
अत : कांग्रेस को कम से कम 300 सीटों पर अपने उमीदवार उतारने होंगे तभी वह 200 से पार को छू सकती हैं शेष दल जो आना चाहें उसके लिए दरवाजे खुले छोड़ने होंगे परंतु मुद्धा मोदी नही लोक शाही बनाम राज शाही हो तभी वह विजय पताका फहरा सकती हैं , यदि उसके पाले में हिन्दू वोट 19 फीसद ही मान लिया जाये तो उसके पाले में 18 फीसद मुस्लिम + 3 फीसद सिख + सिख के कारण 12 फीसद हिन्दू अतिरिक्त वोट भी उसके साथ अर्थात 18+3+12 = 33 फीसद यदि उसके साथ कांग्रेस को जोड़ दिया जाये तो यह हो जाता हैं 52 फीसद अभी इसायी वोट जो 3 फीसद हैं जोड़ दिया जाये तो यह 55 फीसद हो जाता हैं l
देश में जो महोल संघ ने बनाया हैं अब धार्मिक धूर्विकरण में देश बंट गया हैं , अब तो SC /ST ही हिन्दू धूर्विकरण में समाहित ही हो गया हैं , यह राजस्थान, मध्य प्रदेश और छतीस गढ़ के चुनावों से परखा जा सकता हैं l
अब तय कांग्रेस को करना हैं l यदि वह लोकतंत्र को बचाना चाहती हैं l
दया सिंघ