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अंसारी बंधुओ को सुप्रीम कोर्ट ने दी संजीवनी समर्थको मे खुशी की लहर:सांसद अफजाल अंसारी की दोषसिद्धि गुरुवार को सशर्त निलंबित

स्टार न्यूज टेलिविज़न गाजीपुर ब्युरो

बुलबुल पाण्डेय की रिपोर्ट

गाजीपुर:उच्चतम न्यायालय ने 2007 के गैंगस्टर अधिनियम के एक मामले में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गाजीपुर के पूर्व सांसद अफजाल अंसारी की दोषसिद्धि गुरुवार को सशर्त निलंबित कर दी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने बहुमत से दिए फैसले में कहा कि उत्तर प्रदेश के गाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व सांसद अंसारी लोकसभा में मतदान में हिस्सा नहीं ले सकते और न ही सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं लेकिन सदन की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं।

साथ ही पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को दोषसिद्धि तथा सजा के खिलाफ की गई अफजाल अंसारी की आपराधिक अपील का 30 जून 2024 तक निस्तारण करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि उनकी राय बहुमत से दिए फैसले से अलग रही है और…. स्टार न्यूज को मिली जानकारी के मुताबिक, न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि उनकी राय बहुमत से दिए फैसले से अलग रही है और वह अंसारी की अपील खारिज करते हैं। शीर्ष न्यायालय ने 31 अक्टूबर को मामले में दोषसिद्धि के निलंबन का अनुरोध करने वाली अंसारी की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 24 जुलाई को दोषसिद्धि को निलंबित करने से इनकार कर दिया था लेकिन मामले में अंसारी को जमानत दे दी थी। अंसारी ने विशेष एमपी/एमएलए अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की, जिसने उसे चार साल की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।

गाजीपुर की विशेष MP/MLA कोर्ट ने अंसारी और उसके भाई मुख्तार को ठहराया था दोषी आपको बता दें कि गाजीपुर की विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने 29 अप्रैल को अंसारी और उसके भाई एवं पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को 2007 के गैंगस्टर अधिनियम मामले में दोषी ठहराया था।

अफजाल अंसारी को 4 साल कैद जबकि मुख्तार अंसारी को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। दोनों भाइयों पर 29 नवंबर, 2005 को गाजीपुर के तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णनंद राय की हत्या और 1997 में वाराणसी के व्यापारी नंद किशोर रूंगटा के अपहरण व हत्या के सिलसिले में उप्र गैंगस्टर अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। अफजाल अंसारी को अपहरण-हत्या मामले में दोषी ठहराने और सजा सुनाए जाने के बाद एक मई को लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराया गया था।

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