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जी 20-सम्मेलन भारत ने दिया चीन को झटकाको: कोणार्क चक्र बना आकर्षण का केंद्र

सुषमा रानी

नई दिल्ली। जी 20 सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि एक खुशखबरी मिली है कि हमारी टीम के कठिन परिश्रम और आप सबके सहयोग से G20 लीडर्स समिट के डिक्लेरेशन पर सहमति बनी है. मेरा प्रस्ताव है कि लीडर्स डिक्लेरेशन को भी अपनाया जाए. मैं भी इस डिक्लेरेशन को अपनाने की घोषणा करता हूं. वहीं, इस G20 की बैठक से भारत को क्या हासिल हुआ है ये भी जानना जरूरी हो गया है.

यूक्रेन के संदर्भ में रूस का जिक्र नहीं किया गया.
रूस का जिक्र नहीं चाहता था भारत, जो नहीं है.
चीन ‘रूस-यूक्रेन’ शब्द नहीं चाहता था, मगर है.
चीन ‘वन फ्यूचर’ शब्द नहीं चाहता था, मगर है.
चीन ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ नहीं चाहता था, जिक्र है.
भारत के पक्ष का जिक्र ‘ये युग युद्ध का नहीं है’.
भारत के पक्ष का जिक्र ‘सबकी संप्रभुता की रक्षा हो’.
भारत के पक्ष का जिक्र ‘विवाद का हल बातचीत से हो’.
भारत की बड़ी जीत ‘परमाणु युद्ध की धमकी ना हो’.
सबने माना ‘युद्ध से आपसी विश्वास कम हो रहा है’.
कोणार्क चक्र बना आकर्षण का केंद्र

G20 में भारत की सांस्कृतिक झलक उस वक्त देखने को मिली जब सम्मेलन के आयोजन स्थल भारत मंडपम में मेहमानों के आने का सिलसिला शुरू हुआ. वसुधैव कुटुंबकम वाले अंदाज में पीएम मोदी खुद सभी बड़े देशों के प्रतिनिधियों के स्वागत के लिए मौजूद थे. खास बात ये है कि स्वागत स्थल पर ओडिशा के कोणार्क में बने सूर्य मंदिर के चक्र को रखा गया है, जो हिन्दुस्तान की सभ्यता और संस्कृति की ऐतिहासिक पहचान है. इसी पहचान के साथ पीएम मोदी ने सभी मेहमानों का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन जब भारत मंडपम में पहुंचे तो पीएम मोदी ने विशेष अंदाज में स्वागत किया. पहले हाथ मिलाया, मुस्कुराते हुए फोटो खिंचवाई, कुछ सेकंड तक बात की, उसके बाद पीएम मोदी ने मुड़कर बैकग्राउंड में मौजूद कोणार्क चक्र के बारे में जो बाइडेन को बताया. आपको याद दिला दें कि कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने एक बार कहा था कि यहां पत्थरों की भाषा इंसानों की भाषा से बहुत आगे निकल जाती है.
वहीं, एक तरफ अफ्रीकी संघ को G20 में शामिल करा भारत ने चीन को झटका दिया, दूसरी तरफ, भारत और अमेरिका ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानी BRI को मात देने के लिए बहुत बड़ा प्लान तैयार किया है. इस प्लान से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बेचैन हो सकते हैं, बीजिंग में खलबली है क्योंकि नई दिल्ली ने G20 के मंच से चीन पर कूटनीतिक चोट का कोई मौका नहीं छोड़ा है. चीन के BRI के जवाब में ‘इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर’ बनाने पर बड़ा फैसला लिया गया. ये कॉरिडोर 8 देश मिलकर बनाएंगे इनमें भारत, अमेरिका, फ्रांस, इटली, जर्मनी, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यूरोपीय देश शामिल हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने इसे ऐतिहासिक समझौता बताया है. उन्होंने कहा है कि मजबूत कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा मानव सभ्यता के विकास का मूल आधार है.

ये सिर्फ एक तस्वीर भर नहीं है, बल्कि ये भारत की एक ऐतिहासिक धरोहर की ग्लोबल पहचान का प्रमाण है. सिर्फ जो बाइडेन ही नहीं बल्कि सभी देशों के प्रतिधिनियों का स्वागत इसी अंदाज में किया गया.

 

– कोणार्क के सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में किया गया था. कोणार्क चक्र भी इसी मंदिर का हिस्सा है. ये मंदिर एक रथ के रूप में डिजाइन किया गया जिसके 12 जोड़ी पहियों यानी 24 चक्रों को कोणार्क चक्र के रूप में जाना जाता है.

– ये राजा नरसिम्हा देव-प्रथम के शासनकाल में ओडिशा में बनाया गया था.

– माना जाता है कि कोणार्क चक्र सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है.

– 24 पहियों वाला रथ चौबीस घंटों को दर्शाता है, दो-दो पहियों की 12 जोड़ियां 12 महीनों का प्रतीक हैं. माना जाता है कि सात घोड़े इस रथ को खींचते हैं और इन सात घोड़ों को सात दिनों का प्रतीक माना गया है.

– 8 बड़ी तीलियां दिन के 8 पहर के बारे में बताती हैं. आपको याद दिला दें कि एक पहर में तीन घंटे होते हैं.

– कई एक्सपर्ट इसे जीवन चक्र भी कहते हैं और मानते हैं कि इसके जरिए जीवन मृत्यु और पुनर्जन्म को दर्शाया गया है.

– ये भारत के प्राचीन ज्ञान, अनमोल सभ्यता और बेजोड़ वास्तुशिल्प का प्रतीक है

– कोणार्क चक्र अपने आप में समय, कालचक्र, प्रगति और जीवन में निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है

– इसे लोकतंत्र के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है क्योंकि इसकी आकृति और तीलियों का संयोजन कुछ हज तक अशोक चक्र जैसा है.

सूर्य मंदिर की डिजाइन जटिल खगोलीय गणनाओं पर आधारित

कोणार्क चक्र भारतीय विज्ञान और भारतीय इतिहास दोनों की अहमियत को दिखाता है. ऐसा कहा जाता है कि सूर्य मंदिर के वास्तुकारों ने धूपघड़ी बनाने के लिए खगोल विज्ञान का सहारा लिया था और इसे घड़ी के हिसाब से बनाया था. इसका डिजाइन जटिल खगोलीय गणनाओं पर आधारित है. सूर्य मंदिर और कोणार्क चक्र का इतना बड़ा महत्व है कि साल 1984 में इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया था. कोणार्क का सूर्य मंदिर भारत की मध्यकालीन वास्तुकला का श्रेष्ठ उदाहरण है।

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