
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आईएएस सज्जन यादव की किताब का विमोचन किया
नई दिल्ली । कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आईएएस सज्जन यादव की नई किताब ‘स्केलिंग माउंट यूपीएससी, युवा आईएएस अधिकारियों की प्रेरक कहानियां’ का विमोचन किया।
किताब उन आईएएस अधिकारियों की प्रेरक कहानियाँ हैं, जिन्होंने कई बाधाओं के बावजूद अपने दृढ़ संकल्प के बल पर दुनिया की सबसे कठिन और चैलेंजिंग प्रतियोगी परीक्षा में सफलता पाई। सिक्किम की एक दृष्टिबाधित लड़की और केरल के एक सरकारी क्लर्क से लेकर कश्मीर के एक दूरदराज गाँव के एक नौजवान और राजस्थान के एक आईआईटी स्नातक तक. यह पुस्तक उन सात दृढ़ निश्चयी युवा स्त्री-पुरुष अधिकारियों की अनूठी कहानियों को समेटे हुए है जिन्होंने इस कठिन आईएएस परीक्षा में सफलता को हासिल करके दिखाया।
इस पुस्तक में तिरुवनंतपुरम् की जूनियर क्लर्क से आईएएस बनीं मिन्नू पी.एम., बिहार के समस्तीपुर के एक छोटे से गांव दिघरा से आए हुए सत्यम गांधी, कभी एक सर्वेंट क्वार्टर में रह चुके और अब आईएएस बने भरत सिंह, दृष्टि बाधा के बावजूद आईएएस बनी अंजली शर्मा, दक्षिणी कश्मीर के एक गांव से आने वाले वसीम अहमद भट्ट, बिजनौर की रहने वाली श्रुति शर्मा और अमेरिका की चकाचौंध का मोह त्यागकर आईएएस बनने आए लवीश की संघर्षों से भरी कहानी को बख़ूबी प्रस्तुत किया गया है।
वैसे तो इन सभी सात आईएएस की कहानियां प्रेरित करती हैं लेकिन अंजलि शर्मा की कहानी सबसे अलग है. अंजलि के पिता सिक्किम में एक फैक्ट्री में काम करते थे. जब वो दसवीं में थीं तभी उनकी आंखों की रौशनी चली गई लेकिन इस कठिन हालात के बाद भी हार मानने के बजाय उनका इरादा और मजबूत हो गया. उन्होंने ना केवल ब्रेल लिपि को नये सिरे सीखा बलकि यूट्यूब की मदद से यूपीएससी की तैयारी की. अंजलि ने किसी की मदद नहीं ली. दृष्टिहीन लोगों के लिये पढ़ाई के सीमित साधनों, खराब स्वास्थ्य और बार-बार की असफलताओं के बावजूद उन्होंने सफलता हासिल की जो कि एक मिसाल है.
बिहार के समस्तीपुर के सत्यम गांधी की कहानी भी चौंकाती है. आईआईटी-जेई और एनडीए में असफलता का मुंह देखने के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ गई थी. उनके पिता ने पढ़ाई के लिए ब्याज पर पैसे लिये थे. आर्थिक तंगी, असफलताओं का ताना और कोविड को झेलते हुये उन्होंने अपनी मंजिल को पाया.
वसीम अहमद भट के पिता कश्मीर के अनंतनाग में मधुमक्खी पालन का काम करते थे लेकिन वसीम का सपना कुछ और था. वसीम अहमद के रोल मॉडल थे कश्मीरी आईएएस अधिकारी शाह फैजल और अतहर आमिर. वसीम अहमद भट ने अपने रोल मॉडल को सामने रखते हुए अपने सपनों का पीछा किया और 2022 में यूपीएससी की परीक्षा में सातवां रैंक हासिल किया.
किताब का विमोचन करते हुए मुख्य अतिथि, केंद्रीय शिक्षा मंत्री माननीय धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इस किताब में सज्जन यादव ने बहुत ही सीधी-सरल भाषा में और रोचक अंदाज में एक प्रतियोगी की मनोदशा को बताया है कि वो जब आईएएस बनने की तैयारी करता है तो किस हालात से गुजरता है. उन्होंने कहा कि हर किसी को कहीं ना कहीं से आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है. इस किताब में दर्ज सात सफल आईएएस कैंडिडेट की कहानी एक माइल स्टोन की तरह काम करेगी और समाज को प्रेरणा देगी।
कार्यक्रम में मौजूद भारत के जी20 शेरपा, रिटायर्ड आईएएस अमिताभ कांत ने कहा कि इस किताब में आईएएस बनने की महत्वाकांक्षा और सफलता की उस बुलंदी तक पहुंचने की जद्दोजहद को बखूबी दर्ज किया गया है जो आने वाली पीढियों को रास्ता दिखायेगी. इसके अलावा इस किताब के माध्यम से पब्लिक सर्वेंट अपना मूल्यांकन भी कर पायेंगे और अपनी जिम्मेवारियों को बेहतर तरीके से समझ पायेंगे.