सूबे के 15 जिलों में 1984 के दंगों में मारे गए लोगों के आश्रितों की तलाश शुरू
स्टार न्यूज टेलिविज़न : राकेश की रिपोर्ट
लखनऊ:यूपी के 15 जिलों में 1984 के दंगों में मारे गए लोगों के आश्रितों की तलाश शुरू हो गई है। दंगे में मारे गए व्यक्तियों की विधवाओं व वृद्ध माता-पिता के लिए शासन द्वारा सर्वे कराया जा रहा है।
दंगे के बाद से अब तक जो लापता चल रहे हैं, उनकी पत्नियों की भी सूची तैयार होगी। इस संबंध में शासन के विशेष सचिव ने संबंधित जिलों के कमिश्नर, डीएम व नगरायुक्त को निर्देशित किया है।
1984 में देशभर में भयंकर दंगे भड़के थे। जिसमें काफी लोग मारे गए थे। पूर्व में सरकार द्वारा दंगे में मारे गए व्यक्तियों की सभी विधवाओं व वृद्ध माता-पिता, ऐसे में व्यक्ति जो 70 प्रतिशत विकलांग हो चुके हैं। इसके अलावा जो अब तक लापता है। उनकी पत्नियों को प्रदेश सरकार द्वारा ढाई हजार रुपये प्रतिमाह की पेंशन अनुमन्य है। अब शासन स्तर पर पेंशन आदि को लेकर इन सभी लाभार्थियों को डाटा जुटाया जा रहा है।
*सूबे के इन जिलों में तैयार होगी सूची*
कानपुर नगर, मथुरा, पीलीभीत, फतेहपुर, लखनऊ, मिर्जापुर, गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, लखीमपुर खीरी, अलीगढ़, फिरोजाबाद, सहारनपुर, सोनभद्र, गौतमबुद्धनगर।
1984 में भड़के दंगे की ये थी वजह
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद फैले सिख विरोधी दंगों में लगभग पांच हजार निर्दोष सिखों की हत्या की बात कही जाती है। एक नवंबर को देशभर में दंगे भड़के थे। दरअसल इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले उनके अंगरक्षक ही थे। दोनों ही अंगरक्षक सिख थे, जिसके बाद देश में लोग सिखों के खिलाफ भड़क गए थे।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर सिखों के गुस्से की वजह यह थी कि 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान उन्होंने भारतीय सेना को स्वर्ण मंदिर पर कब्जा करने का आदेश दिया था। इस दौरान मंदिर में घुसे सभी विद्रोहियों को मार दिया गया था। जो कि ज्यादातर सिख ही थे। इन सभी हथियारों से लैस विद्रोहियों ने स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था। इनकी मांग थी कि ये खालिस्तान नाम का अगल देश चाहते थे। जहां केवल सिख और सरदार कौम ही रह सके। इसका सरकार ने कड़ा विरोध किया और इन अलगाववादियों पर कार्रवाई की। इसको ऑपरेशन ब्लू स्टार कहा जाता है।
इन खालिस्तानियों का नेतृत्व सिख धर्म गुरु सरदार जरनैल सिंह भिंडरावाले ने किया था। जब इंदिरा सरकार ने सैनिकों को मंदिर के अंदर घुसने का आदेश दिया था। तो मंदिर के अंदर जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके सहयोगियो ने सैनिकों पर हमला कर दिया था। खालिस्तानियों की बढ़ती तादात को देखते हुए इंदिरा सरकार ने तोपों के साथ चढ़ाई करने का आदेश दिया था। जिसमें जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके सहयोगियों की मौत हो गई थी।
*अलीगढ़ जिले में नहीं है कोई भी पेंशन का पात्र*
कोषागार के रिकॉर्ड के मुताबिक 1984 के दंगे में मारे गए लोगों का कोई भी आश्रित पेंशन नहीं पा रहा है। रिकॉर्ड के अनुसार जनपद में संख्या शून्य है। एडीएम सिटी, अमित कुमार भट्ट ने कहा कि शासन स्तर से 1984 के दंगे में मारे गए लोगों के आश्रितों की जानकारी मांगी गई है। इसकी सूची तैयार कराई जा रही है।