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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा आग्रह — देशभर में रह रहे बिहारवासियों को ई-वोटिंग की सुविधा दी जाए

मुख्य संवाददाता

दिल्ली, 27 अक्टूबर बिहारवासी संगठन, दिल्ली के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज भारत निर्वाचन आयोग के मुख्यालय, अशोक रोड, नई दिल्ली में जाकर मुख्य निर्वाचन आयुक्त को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें बिहार से बाहर रह रहे मतदाताओं के लिए ई-वोटिंग (दूरस्थ मतदान) प्रणाली लागू करने की माँग की गई।

प्रतिनिधिमंडल में मौलाना अब्दुल सुभान क़ासमी,बिहारवासी संगठन अध्यक्ष क़ारी असजद ज़ुबैर क़ासमी, मौलाना मोहम्मद जावेद सिद्दीकी क़ासमी, महासचिव क़ाफ़ अशरफ़ और मुफ़्ती कलीम क़ासमी शामिल थे।

प्रतिनिधियों ने कहा कि आगामी 6 और 11 नवम्बर 2025 को होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य के बाहर रह रहे लाखों बिहारवासियों के लिए अपने गृह क्षेत्र में जाकर मतदान करना अत्यंत कठिन है। वे रोज़गार, शिक्षा, व्यवसाय, इलाज आदि कारणों से देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों में बसे हुए हैं।
ऐसी स्थिति में ई-वोटिंग की सुविधा उन्हें अपने स्थान से ही लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग करने का अवसर प्रदान कर सकती है।

प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि निर्वाचन आयोग स्वयं भी समय-समय पर ई-वोटिंग प्रणाली की दिशा में पहल करने की घोषणा कर चुका है। अब जब बिहार जैसे राज्य में इस तकनीक का प्रायोगिक रूप से सफल उपयोग किया जा चुका है, तो इस विधानसभा चुनाव में इसे व्यापक स्तर पर लागू किया जाना चाहिए, ताकि सभी योग्य मतदाता, चाहे वे कहीं भी हों, मतदान प्रक्रिया में भाग ले सकें।

संगठन ने यह भी कहा कि ई-वोटिंग प्रणाली लागू होने से मतदान प्रतिशत बढ़ेगा, लोकतांत्रिक भागीदारी मजबूत होगी, और बिहार की जनता की वास्तविक राय चुनाव परिणामों में परिलक्षित होगी।

संगठन ने सभी राजनीतिक दलों से भी अपील की है कि वे इस जनहितकारी मांग का समर्थन करें और देशभर में बसे बिहारवासियों को लोकतंत्र की प्रक्रिया में भागीदारी का अवसर प्रदान करने हेतु ई-वोटिंग सुविधा को लागू करवाने की दिशा में एकजुट प्रयास करें।

मतदाता सूची से संबंधित अफवाहों पर स्पष्टीकरण की माँग

प्रतिनिधिमंडल ने अपने ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया कि हाल के दिनों में कुछ लोग यह भ्रामक सूचना फैला रहे हैं कि “जो मतदाता मतदान नहीं करेंगे या परीक्षण मतदान नहीं देंगे, उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे।”

यह अफवाह मतदाताओं में भ्रम और भय पैदा कर रही है। अतः संगठन ने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया है कि वह इस पर तत्काल आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी करे और एक जन-जागरूकता अभियान चलाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि —केवल मतदान न करने के कारण किसी मतदाता का नाम सूची से नहीं हटाया जा सकता।
मतदाता सूची में कोई भी परिवर्तन केवल कानूनी प्रक्रिया के अनुसार ही किया जाता है।

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