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तुली रिसर्च सेंटर फ़ॉर इंडिया स्टडीज़’ ने tuliresearchcentre.org का शुभारंभ किया

भारत की कलात्मक, सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाने हेतु समर्पित

नई दिल्ली | तुली रिसर्च सेंटर फॉर इंडिया स्टडीज़’ (T.R.I.S.) आज बहुत गर्व के साथ tuliresearchcentre.org के शुभारंभ की घोषणा करता है। यह एक क्रांतिकारी डिज़िटल प्लेटफ़ॉर्म है जो भारत की आधुनिक और समकालीन ललित कला, पॉपुलर आर्ट, सिनेमा, फ़ोटोग्राफ़ी, स्थापत्य की विरासत, ग्राफ़िक आर्ट, पशु कल्याण और सांस्कृतिक अर्थशास्त्र व चिंतन पर सबसे व्यापक विज़ुअल-टेक्स्चुअल ज्ञान के भंडार को एक मंच पर बिना किसी शुल्क के, सभी के लिए खुली पहुँच के साथ प्रस्तुत करता है। इस तरह यह मंच ‘भारत अध्ययन’ के लिए एक नवीन वैचारिक ढांचा प्रदान करता है।
इस प्लेटफ़ॉर्म की शुरुआत नेविल तुली की तीन दशक लंबी यात्रा की परिणति है। यादगार सांस्कृतिक संस्थानों के निर्माता के रूप में नेविल तुली का यह सफ़र प्रेरणादायी रहा है। इसकी शुरुआत HEART (दि तुली फॉउंडेशन फ़ॉर होलिस्टिक एजुकेशन एंड आर्ट, 1995-99) की स्थापना से हुई, ‘ओसियांस कॉनोसर्स ऑफ़ आर्ट’ (2000-2021) और ‘वनराजा सेंचुरी एंड हॉस्पाइस’ (2015-) के माध्यम से यह सफ़र आगे बढ़ा और अब T.R.I.S. में इसे एक नया आयाम मिला है। ‘तुली रिसर्च सेंटर फ़ॉर इंडिया स्टडीज़’ एक ऐसा संस्थान है जो अपने विस्तृत अभिलेखागार, ज्ञान भंडार एवं समृद्ध पुस्तकालय को सार्वजनिक उपयोग और शैक्षणिक शोध हेतु समर्पित करता है।
तुली के शिक्षा से जुड़े अन्तरअनुशासनिक ज्ञान निर्माण के विचार ने इस कोशिश खड़ा किया है। उनका मानना है कि विमर्श के वैचारिक धरातल पर छवि-पाठ-श्रव्य माध्यम के संगम से और उसमें अनुभव एवं सरंक्षण के पक्ष को शामिल करने से इस कोशिश की ज़मीन तैयार होती है। नेविल तुली का नज़रिया हमेशा से ऐसी स्वतंत्र और सहभागी बौद्धिक अनुसंधान की जगहों के निर्माण के पक्ष में रहा है जहाँ ज्ञान मुक्त हो, सर्वव्यापक हो और सभी के लिए सुलभ हो।

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