गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में कला संस्कृति एवं भाषा मंत्रालय दिल्ली सरकार द्वारा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया
सुषमा रानी:
नई दिल्ली, 19 जनवरी कला संस्कृति एवं भाषा मंत्रालय, हिंदी अकादमी विभाग द्वारा गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में टाउन हॉल, चांदनी चौक में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया I कार्यक्रम में देशभर के अलग-अलग क्षेत्र से बड़े ही प्रखर और चर्चित कवियों ने भाग लिया I चर्चित कवियों में मुख्य रूप से पद्मश्री डॉ सुरेंद्र शर्मा, कवि अशोक चक्रधर, कवि डॉक्टर विष्णु सक्सेना, कवि अरुण जैमिनी, कवि राजेंद्र मालवीय, कवि डॉक्टर प्रवीण शुक्ल, कवि सर्वेश अस्थाना, कवित्री प्रोफेसर प्रेम सिंह मौजूद रहे I कवि सम्मेलन का संचालन मशहूर कवित्री डॉक्टर कीर्ति काले द्वारा किया गया I सभी कवियों ने टाउन हॉल में मौजूद सैकड़ो लोगों के समक्ष अपने जौहर का प्रदर्शन किया I कला संस्कृति एवं भाषा मंत्री सौरभ भारद्वाज मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए I माननीय मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मंच पर मौजूद सभी सम्मानित कवियों का मफलर पहनकर स्वागत किया I
मंच से संबोधन करते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि इस कवि सम्मेलन को लाल किले का कवि सम्मेलन कहा जाता है I प्रतिवर्ष इस सम्मेलन का आयोजन लाल किले के पास किया जाता रहा है I परंतु कुछ समस्याओं के चलते यह कवि सम्मेलन इस बार लाल किले पर न होकर चांदनी चौक के टाउन हॉल में किया जा रहा है I उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता का यह इतिहास रहा है, कि दिल्ली की जनता ने हमेशा कविताओं में, मुशायरों आदि में बहुत रुचि रखते हैं
जो हमारे युवा पीढ़ी में लोग नाटकों में, कविताओं में, संगीत में, नृत्य में, शायरी में रुचि रखते हैं, परंतु धन की कमी के कारण, मार्गदर्शन की कमी के कारण या कोई सही पथ न मिलने के कारण उनकी जो कला है, उनकी जो योग्यता है वह देश और जनता के सामने नहीं आ पा रही है I मंत्रालय इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से एक मंच प्रदान करने की कोशिश कर रहा है, ताकि हमारे देश की युवा पीढ़ी हमारी कला और संस्कृति और हमारे बुजुर्गों की धरोहर को समझ सके I युवा पीढ़ी में हमारी संस्कृति के प्रति रुचि पैदा हो और हमारी युवा पीढ़ी हमारे बुजुर्गों की इस धरोहर को आगे लेकर जाए और दुनिया के कोने-कोने तक लेकर जाए I इन कार्यक्रमों के माध्यम से कला संस्कृति एवं भाषा मंत्रालय की यह कोशिश है, कि भविष्य में भी इसी प्रकार से कवि सम्मेलनों का आयोजन करके युवा पीढ़ी में भी कविताओं के प्रति रुचि पैदा हो।
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