ताज़ा तरीन खबरेंTrending

भाईयो छोडिये घटनाये होती रहेगी भूल जाइए पहलगाम, आइए बद्रीधाम!

(आलेख : राकेश पाण्डेय)

घटनाएं-दुर्घटनाएं भूलने के लिए ज्यादा, याद रखने के लिए कम होती हैं। आपको भी सरकार की तरह 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हत्याकांड को भूलकर अपने काम धंधे पर लग जाना चाहिए। किसी हादसे से दुनिया रुक नहीं जाती। हिरोशिमा-नागासाकी से पहलगाम हत्याकांड के बीच दुर्दिनों की लंबी फेहरिश्त है। किस-किस को याद कीजिए, किस-किस को रोइए!!

अब देखिए न, चारधाम में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। पूरा मंदिर फूलों से सजाया गया है। इस मौके पर मंदिर पर फूलों की वर्षा की गई। कपाट खुलने के बाद श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की और भगवान बद्रीविशाल का आशीर्वाद प्राप्त किया। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। बता दें कि गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट पहले ही खुल चुके हैं। चार धाम की यात्रा शुरू हो चुकी है। किसी को फुर्सत नहीं, सरकार से सवाल करने की?
राजनीतिक दल अपना काम कर रहे हैं, कारोबारी अपना कारोबार कर रहे हैं। रो सिर्फ वे लोग रहे हैं, जिनके परिजन मारे गए हैं। हमारे बुंदेलखंड में कहावत है कि जिसका मरता है, वही रोता है। दूसरा तो रोने का दिखावा करता है।

ध्रुवीकरण चालू आहे। महाराष्ट्र देश का सबसे महत्वपूर्ण सूबा है। यहाँ भी ध्रुवीकरण जारी है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने शनिवार को राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से गठबंधन के संकेत दिए है। पार्टी ने एक्स पर लिखा — “मुंबई और महाराष्ट्र के हित के लिए एकजुट होने का समय आ गया है। पार्टी कार्यकर्ता मराठी गौरव की रक्षा के लिए तैयार हैं।”

इससे पहले 19 अप्रैल को राज ठाकरे ने अपने चचेरे भाई उद्धव से गठबंधन पर कहा था कि, “उद्धव से राजनीतिक मतभेद हैं, विवाद हैं, झगड़े हैं, लेकिन यह सब महाराष्ट्र के आगे बहुत छोटी चीज हैं। महाराष्ट्र और मराठी लोगों के हित के लिए साथ आना कोई बहुत बड़ी मुश्किल नहीं है।” राज ठाकरे ने अभिनेता और निर्देशक महेश मांजरेकर के यू-ट्यूब चैनल पर यह बात कही थी। इस पर उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह छोटी-मोटी लड़ाइयां छोड़कर आगे बढ़ने को तैयार हैं, बशर्ते महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को बर्दाश्त न किया जाए।

मैने कहा देश, दुनिया किसी के लिए रुकती नहीं है। कहाँ रुकती है? मप्र में सरकार नहीं रूक रही। एक बार फिर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकार 5 हजार करोड़ का ऋण लेने जा रही है। कर्ज का घी, कंबल ओढकर पी। कर्ज हर सरकार की मजबूरी है। केंद्र सरकार भी जनता के लिए बार-बार कर्जदार बनती है और राज्य सरकार भी। दोनों जनता की साख पर कर्ज लेती है। हमारे यहाँ तो ऋण कहा जाता है। हम पितृ ऋण अदा करते हैं। सरकार का कोई पिता नही होता, जनता जनार्दन होती है। उसी के लिए सरकार को कर्जदार होना पडता है।

पहलगाम हत्याकांड का मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे की शादी पर कोई असर नहीं पड़ा। उनके अंगने में जैकलिन को नाचना था, सो नाची। असली और खानदानी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पापा भी ये सब इंतजाम नहीं कर पाए थे। तोमर ने कुछ वर्ष पहले अपने पिता के मृत्युभोज में मात्र एक बोरी शक्कर गलवाकर आदर्श प्रस्तुत किया था। तब मैने उसे सराहा था। लेकिन आज मै मेला मैदान में शाही शादी की दावत पर गूंगा हूँ। कुछ नहीं लिख पा रहा। किसी की खुशियों पर टिप्पणी करना पत्रकारिता नहीं है। हालांकि मैने स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की बेटी चित्रांगदा और बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया की शाही शादी में फिजूलखर्ची और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग पर खूब लिखा था। दुरुपयोग आज भी हो रहा है, बल्कि ज्यादा हो रहा है। पूरा शहर हलकान है युवराज के लिए आयोजित दावत-ए-वलीमा में उमड़ने वाली आम और खास भीड की वजह से।

सब जानते हैं कि मै बिना राग, द्वेष के लिखता रहा हूं। आगे भी लिखता रहूँगा, क्योंकि मुझे अपने सिवा किसी और से डर नहीं लगता। डरने वाली जमात अलग है। ये जमात भी पहलगाम को भूलकर नाच रही है, अभिनंदन कर रही है, पुलिस कप्तान से पिट रही है। पिट तो जनता भी रही है, लेकिन बचाने वाला कोई नहीं है। जागते रहो!

*(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। कई मीडिया संस्थानों से संबद्ध हैं।)*

StarNewsHindi

All news article is reviewed and posted by our Star News Television Team. If any discrepancy found in any article, you may contact [email protected] or you may visit contact us page

Related Articles

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Back to top button