74 वें संविधान दिवस पर दस्तक ने आयोजित की चतुर्थ व्याख्यानमाला
नई दिल्ली (सुषमा रानी) डॉ. अम्बेडकर सोसाइटी फॉर थाट्स एक्शन्स एण्ड कंसियसनेस, दस्तक ने 74 वें संविधान दिवस के अवसर पर चतुर्थ व्याख्यानमाला ‘भारतीय संविधान के संदर्भ में भारतीय भाषाओं की स्थिति’ का आयोजन राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद, भारत सरकार के सहयोग से पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार पाकेट 3 स्थित कार्थयायनी आडिटोरियम में किया गया।
व्याख्यानमाला में मुख्य अतिथि डॉ. टी.आर. नवल पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश, वक्ता कामेश्वर नाथ मिश्र वरिष्ठ अधिवक्ता सर्वोच्च न्यायालय, विशिष्ट अतिथि प्रो.रवि प्रकाश टेकचंदानी, निदेशक, रा. सि.भा. वि. प. एवं अध्यक्ष डॉ. मनोज दहिया सहायक प्रवक्ता (हिन्दी) रामानुज कालेज, दिल्ली विश्वविद्यालय थे।
वक्ता कामेश्वर नाथ ने संविधान में भारतीय भाषाओं से संबंधित अनुच्छेदों और संविधान सभा में बहस के साथ डॉ. अम्बेडकर की भूमिका की सराहना के साथ मां और मातृ भाषा का कोई विकल्प नहीं हो सकता के बारे में बताया।
मुख्य अतिथि डॉ. नवल ने संविधान की विशेषताओं, उसमें निहित अधिकारों, कर्तव्यों, विधायिका एवं न्यायपालिका से संबंधित अनुच्छेदों एवं उनके क्रियान्वयन पर अपने विचार साझा किए।
विशिष्ट अतिथि प्रो. टेकचंदानी ने संविधान में निहित सभी भारतीय भाषाओं को जनसामान्य द्वारा स्वीकार कर उनको अपनाने हेतु जोर देते हुए भारत सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की और कराची हलवा क्रांति के बारे में बताया और कहा अब समय दूर नहीं जब भारतवासी अपनी मातृभाषा में इंजीनियरिंग एवं मैडीकल की शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।
अध्यक्ष डॉ. मनोज दहिया ने सभी वक्ताओं के बिन्दुओं को सराहते हुए कहा कि यदि हम डॉ. अम्बेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर अच्छा नागरिक बनाने पर जोर देना होगा।
व्याख्यानमाला में भारतीय संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा गया।